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प्रथम पुष्प अर्पित तुमको, मसलो या श्रृंगार करो,
आया तेरे द्वार प्रभु, मेरा बेड़ा पार करो ,

चाहत थी जीवन की मेरी, दुखियों का दर्द उधार लूं
उजड़ चुके है जिनके घर, उनको एक नव संसार दूं

दामिन दमकी जला आशियाँ, ऐसी मची तबाही,
रही अधूरी मेरी तमन्ना, ऐसी आंधी है आई,

छाया तम है जीवन में, आशा की किरण कोई नहीं,
सर्वस्व समर्पित चरनन मां, जीवन में कुछ शेष नहीं,

श्रद्धा सुमन अर्पित तुमको, मन उपवन क्यूँ खाली,
हरा भरा रखना डाली को, इस जीवन का तू माली |

(संशोधित)

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 4, 2012 at 6:03pm

आदरणीय. जवाहर भाई जी , सादर अभिवादन , आपको कोई रोक सकता है. धन्यवाद 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 4, 2012 at 6:00pm

धन्यवाद राजेश कुमारी  जी.  नमस्कार  आपने  भावों को सराहा.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 4, 2012 at 5:47pm

धन्यवाद नीरजा जी.  नमस्कार  आपने  भावों को सराहा.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 4, 2012 at 5:39pm

आदरणीय सौरभ जी सादर अभिवादन

जीवन का उद्देश्य सृजनात्मक ही रहा है,

आगे  भगवान की मर्ज़ी ,

स्नेह अपेक्षित है.  

धन्यवाद 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 4, 2012 at 5:30pm

स्नेही मीनू जी धन्यवाद 

Comment by minu jha on March 4, 2012 at 2:39pm

बहुत सुंदर कुशवाहा जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 4, 2012 at 12:00pm

आदरणीय प्रदीपजी, सादर प्रणाम.  इस मंच पर आपकी उपस्थिति की परिचयात्मकता प्रस्तुत उच्च-भाव संवर्धित रचना से निरुपित हो रही है जो आपकी आध्यात्मिक वैचारिकता का स्वयं ही बखान है.

विश्वास है,  आपका शुभागमन इस मंच की आवश्यक गति एवं इसके उन्मुक्त उठान हेतु महत्त्वपूर्ण तथा सकारात्मक कारक होगा.  सादर. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 4, 2012 at 8:06am

prabhu vandna bahut achchi lagi mangal kamnayen.jab maa ko man hi arpit kar diya to suman ki aupcharikta kaisi.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 4, 2012 at 8:00am

प्रणाम महोदय,
आपका मुस्कुराता चेहरा और सुंदर पुष्प को मान की बगिया मे सज़ा लू
आपसे दोस्ती कर दुनिया बसा लू

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 4, 2012 at 7:59am

pranaam mahoday,

श्रद्धा सुमन अर्पित तुमको मन उपवन क्यूँ खाली
हरा भरा रखना डाली को इस जीवन का तू माली// hindi likhne me kuch dikkat mahsoos kar raha hoon isliye copy paste ka sahara le raha hoon.
saadar.-Jawahar.

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