For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रथम पुष्प अर्पित तुमको, मसलो या श्रृंगार करो,
आया तेरे द्वार प्रभु, मेरा बेड़ा पार करो ,

चाहत थी जीवन की मेरी, दुखियों का दर्द उधार लूं
उजड़ चुके है जिनके घर, उनको एक नव संसार दूं

दामिन दमकी जला आशियाँ, ऐसी मची तबाही,
रही अधूरी मेरी तमन्ना, ऐसी आंधी है आई,

छाया तम है जीवन में, आशा की किरण कोई नहीं,
सर्वस्व समर्पित चरनन मां, जीवन में कुछ शेष नहीं,

श्रद्धा सुमन अर्पित तुमको, मन उपवन क्यूँ खाली,
हरा भरा रखना डाली को, इस जीवन का तू माली |

(संशोधित)

Views: 792

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 4, 2012 at 6:03pm

आदरणीय. जवाहर भाई जी , सादर अभिवादन , आपको कोई रोक सकता है. धन्यवाद 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 4, 2012 at 6:00pm

धन्यवाद राजेश कुमारी  जी.  नमस्कार  आपने  भावों को सराहा.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 4, 2012 at 5:47pm

धन्यवाद नीरजा जी.  नमस्कार  आपने  भावों को सराहा.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 4, 2012 at 5:39pm

आदरणीय सौरभ जी सादर अभिवादन

जीवन का उद्देश्य सृजनात्मक ही रहा है,

आगे  भगवान की मर्ज़ी ,

स्नेह अपेक्षित है.  

धन्यवाद 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 4, 2012 at 5:30pm

स्नेही मीनू जी धन्यवाद 

Comment by minu jha on March 4, 2012 at 2:39pm

बहुत सुंदर कुशवाहा जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 4, 2012 at 12:00pm

आदरणीय प्रदीपजी, सादर प्रणाम.  इस मंच पर आपकी उपस्थिति की परिचयात्मकता प्रस्तुत उच्च-भाव संवर्धित रचना से निरुपित हो रही है जो आपकी आध्यात्मिक वैचारिकता का स्वयं ही बखान है.

विश्वास है,  आपका शुभागमन इस मंच की आवश्यक गति एवं इसके उन्मुक्त उठान हेतु महत्त्वपूर्ण तथा सकारात्मक कारक होगा.  सादर. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 4, 2012 at 8:06am

prabhu vandna bahut achchi lagi mangal kamnayen.jab maa ko man hi arpit kar diya to suman ki aupcharikta kaisi.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 4, 2012 at 8:00am

प्रणाम महोदय,
आपका मुस्कुराता चेहरा और सुंदर पुष्प को मान की बगिया मे सज़ा लू
आपसे दोस्ती कर दुनिया बसा लू

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 4, 2012 at 7:59am

pranaam mahoday,

श्रद्धा सुमन अर्पित तुमको मन उपवन क्यूँ खाली
हरा भरा रखना डाली को इस जीवन का तू माली// hindi likhne me kuch dikkat mahsoos kar raha hoon isliye copy paste ka sahara le raha hoon.
saadar.-Jawahar.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service