For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चंद सिक्कों के लिए नीयत बुरी हो जाएगी

क्या पता ईमान की इतनी कमी हो जाएगी॥

चंद सिक्कों के लिए नीयत बुरी हो जाएगी॥

 

क्या ख़बर थी ज़िंदगी यूं दोगली हो जाएगी।

बात सब इंसानियत की काग़जी हो जाएगी॥

 

सच को मैंने कह दिया सच जब सभी के सामने,

क्या ख़बर थी दोस्तों से दुश्मनी हो जाएगी॥

 

आ रहे है आजकल नेता जी फिर से गाँव में,

लग रहा कोई मुसीबत फिर खड़ी हो जाएगी॥

 

आपको भी आशिक़ी का रोग जब लग जाएगा,

रात दिन तब जागने की बेबसी हो जाएगी॥

 

अब्र1 उसके प्यार के मुझपे अगर बरसे नहीं,

यूं ही आवारा मेरी तष्नालबी2 हो जाएगी॥

 

मुफ़लिसी3, बेरोज़गारी यूं अगर बढ़ती रही,

क़ौम फिर मजबूर होकर नक्सली हो जाएगी॥

 

चाँद “सूरज” गुम हैं तारे तीरगी4 है राह में,

तेरी रहमत5 जो हुई तो रौशनी हो जाएगी॥

 

                        डॉ. सूर्या बाली “सूरज”

1. बादल,  2. प्यास,  3. गरीबी 4. अंधेरा,  5. कृपा

Views: 675

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 17, 2012 at 3:21pm

मुफ़लिसी3, बेरोज़गारी यूं अगर बढ़ती रही,

क़ौम फिर मजबूर होकर नक्सली हो जाएगी॥

 सम्भावना है 

बधाई 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 14, 2012 at 11:13am

वाह वाह सर जी
एक एक शेर शानदार है
बेहद उम्दा इस ग़ज़ल के लिए मेरी दिली दाद क़ुबूल कीजिये डॉ साहब
मजा आ गया

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on July 14, 2012 at 11:03am

मुफ़लिसी, बेरोज़गारी यूं अगर बढ़ती रही,

क़ौम फिर मजबूर होकर नक्सली हो जाएगी॥

पूरी ग़ज़ल ही लाजवाब है मगर इस शे'र ने तो दिल जीत लिया डॉ. साहिब.. वाह..

Comment by satish mapatpuri on July 14, 2012 at 2:29am

क्या पता ईमान की इतनी कमी हो जाएगी॥

चंद सिक्कों के लिए नीयत बुरी हो जाएगी॥

आ रहे है आजकल नेता जी फिर से गाँव में,

लग रहा कोई मुसीबत फिर खड़ी हो जाएगी॥

तारीफ़ करूँ  क्या उसकी , जिसने तुम्हें बनाया ........... क्या बात है डॉ. सूरज साहेब ... क्या बात है ...... सुभान अल्लाह 

Comment by वीनस केसरी on July 14, 2012 at 2:26am

वाह वा .....
हर एक शेर ने लाजवाब किया, कहने को कुछ नहीं बचा

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 13, 2012 at 11:36pm

सच को मैंने कह दिया सच जब सभी के सामने,

क्या ख़बर थी दोस्तों से दुश्मनी हो जाएगी॥

मुफ़लिसी3, बेरोज़गारी यूं अगर बढ़ती रही,

क़ौम फिर मजबूर होकर नक्सली हो जाएगी॥

 आदरणीय सूरज जी ...बिलकुल सटीक हालत को बयाँ करती आप की मोहक गजल काविले तारीफ़ ..नए शब्द भी सीखने को मिले ....आभार 

भ्रमर ५ 

 

Comment by Albela Khatri on July 13, 2012 at 5:54pm

आदरणीय डॉ सूर्य बाली 'सूरज' जी...
आप तो उस्ताद हैं ग़ज़ल के ..ग़ज़ल पर टिपण्णी करने की मेरी हैसियत नहीं...लेकिन  साहेब मार डाला आपके इस शे'र ने:

सच को मैंने कह दिया सच जब सभी के सामने,

क्या ख़बर थी दोस्तों से दुश्मनी हो जाएगी॥

___हाय हाय  हाय.........कुर्बान !

जय हो आपकी

Comment by Rekha Joshi on July 13, 2012 at 4:03pm

सूरज जी ,

चाँद “सूरज” तारे ग़ायब तीरगी है राह में,

तेरी रहमत जो हुई तो रौशनी हो जाएगी॥,बहुत उम्दा रचना ,बहुत बहुत बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 13, 2012 at 3:59pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल .वाह हर शेर लाजबाब 

Comment by Yogi Saraswat on July 13, 2012 at 12:26pm

आ रहे है आजकल नेता जी फिर से गाँव में,

लग रहा कोई मुसीबत फिर खड़ी हो जाएगी॥

 

आपको भी आशिक़ी का रोग जब लग जाएगा,

रात दिन तब जागने की बेबसी हो जाएगी॥

बहुत सुन्दर अल्फाज़ और अशाओरों से सजी ग़ज़ल है आपकी आदरणीय डॉ. बाली जी !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई।"
44 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय आपने आदरणीय तिलक राज सर की इस्लाह भी ख़ूब हुई है ग़ज़ल और निखर जायेगी"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय आदरणीय तिलक राज सर की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी अच्छी इस्लाह हुई है"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय इतनी बारीकी से इस्लाह की है आदरणीय तिलक राज सर ने मतले व अन्य शेरों पर काबिल…"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय आदरणीय तिलक राज सर की इस्लाह हर ग़ज़ल पर बेहतरीन हुई है काबिल ए गौर है ग़ज़ल…"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय निलेश सर 4rth शेर बेहद पसंद आया बधाई स्वीकारें आदरणीय"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय धामी सर बधाई स्वीकारें सुधार के बाद शेर और निखर गए हैं"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सुधार- उम्रें न सही लम्हे बिताने के लिए आ ग़र इश्क़ है तो साथ निभाने के लिए आ/१ दिल भूल गया है सभी…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"मुश्किल में हूँ मैं मुझको बचाने के लिए आ है दोस्ती तो उसको निभाने के लिए आ 1 यही बात इन्हीं शब्दों…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल अभी समय मॉंगती है। बहुत से शेर अच्छे शेर होते-होते रह गये हैं। मेरा दृष्टिकोण प्रस्तुत…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय नीलेश जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए  गिरह शानदार…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  मतला और गिरह ख़ूब…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service