For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आधी जमींदारी हमारी भी है

अंततः हम एकल ही थे

स्मृति में कहाँ रही सुरक्षित

जन्म लेने की अनुभूति

और ना होशो हवास में

मौत को जी पायेंगे

समस्त

कौतुहल विस्मय

अघात संताप

रणनीति कूटनीति तो

मध्य में स्थित

मध्यांतर की है

उसमे भी

जब तुमने

ज़मीन छीनकर ये कहा की

सारा आकाश तुम्हारा

मैंने पैरों का मोह त्याग दिया

और परों को उगाना सीख लिया  

अब बाज़ी मेरे हाथ में थी

लेकिन हुकुम का इक्का

अब भी तुम्हारे पास ही रहा

 उकाबों का झुण्ड जब तब

नन्ही गौरैया के इर्द गिर्द

मंडराता रहा

बाज आ जाओ वरना

अब मैं नाखून उगाना सीख लुंगी

और तब

आस्मां में उड़ने के साथ साथ

जमी पर भी पैर मेरे होंगे

क्योंकि

तुम्हारे निजाम में

आधी जमींदारी हमारी भी है|

क्या कहते हो ???

गुल सारिका 

Views: 701

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anwesha Anjushree on January 10, 2013 at 6:54pm

:) prayas ka swagat....sunder

Comment by अमि तेष on January 4, 2013 at 10:36am

जब तुमने

ज़मीन छीनकर ये कहा की

सारा आकाश तुम्हारा

अच्छी रचना 

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 3, 2013 at 10:07pm

सुन्दर रचना

Comment by Rajeev Mishra on January 3, 2013 at 6:34pm

नन्ही गौरैया के इर्द गिर्द

मंडराता रहा

बाज आ जाओ वरना

अब मैं नाखून उगाना सीख लुंगी

और तब

आस्मां में उड़ने के साथ साथ

जमी पर भी पैर मेरे होंगे   bahut hi sundar lekhni jo vykt karti samay ki prabhuta aaj goraiya dekhne matr ko bhi to nahi es shahri kshetr main ! ati sundar !

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 2, 2013 at 7:15pm

क्रोध से भरी तेजस्वी रचना की लिए बधाई गुल सारिका जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 2, 2013 at 4:52pm

तब

आस्मां में उड़ने के साथ साथ

जमी पर भी पैर मेरे होंगे

क्योंकि

तुम्हारे निजाम में

आधी जमींदारी हमारी भी है|

क्या कहते हो ???.........................वाह! बहुत हिम्मत भरी ऊर्जस्वी रचना, 

हार्दिक बधाई प्रिय गुल सारिका जी 

Comment by राजेश 'मृदु' on January 2, 2013 at 4:29pm

अच्‍छी भाव दशा एवं सुन्‍दर निरूपण के लिए हार्दिक बधाई

Comment by vijay nikore on January 2, 2013 at 4:19pm

रचना प्रभावशाली है। बधाई।

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 2, 2013 at 3:33pm

ऊर्जस्विता और ओजस्विता से पगी भाव-रचना के लिए बधाई, गुल सारिकाजी.

Comment by Er. Ambarish Srivastava on January 2, 2013 at 3:05pm

//बाज आ जाओ वरना

अब मैं नाखून उगाना सीख लुंगी

और तब

आस्मां में उड़ने के साथ साथ

जमी पर भी पैर मेरे होंगे//

आदरेया सीमा जी ने सच ही कहा है ...जगाती हुई इस रचना के लिए साधुवाद |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
23 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
26 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई। गौरैया के झुंड का, सुंदर सा संसार…"
30 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post यह धर्म युद्ध है
"आदरणीय अमन सिन्हा जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
34 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"वाह वाह वाह... क्या ही खूब शृंगार का रसास्वाद कराया है। बहुत बढ़िया दोहे हुए है। आखिरी दोहे ने तो…"
36 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी, बहुत शानदार गीत हुआ है। तल्ला और कल्ला ने मुग्ध कर दिया। जो पेड़ों को काटे…"
42 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आपकी ज़िंदगी ओबीओ  मेरी भी आशिकी ओबीओ  इस समर में फले कुछ समर ऐ समर ये खुशी…"
50 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं। सादर।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति। हार्दिक बधाई। आख़री दोहे में  गोल गोल ये रोटियां,…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय सुशील सरना जी, मयखाने से बढ़िया दोहे लेकर आए हैं। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया दोहा छंद की प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। इस दोहे…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"वक्त / समय बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ ।। आदरणीय सुशील सरना…"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service