For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं देव न हो सकूंगा

सुनो ,

व्यर्थ गई तुम्हारी आराधना !

अर्घ्य से भला पत्थर नम हो सके कभी ?

बजबजाती नालियों में पवित्र जल सड़ गया आखिर !

मैं देव न हुआ !

 

सुनो ,

प्रेम पानी जैसा है तुम्हारे लिए !

तुम्हारा मछ्लीपन प्रेम की परिभाषा नहीं जानता !

मैं ध्वनियों का क्रम समझता हूँ प्रेम को !

तुम्हारी कल्पना से परे है झील का सूख जाना !

मेरे गीतों में पानी बिना मर जाती है मछली !

(मैं अगला गीत “अनुकूलन” पर लिखूंगा !)

 

सुनो ,

अंतरंग क्षणों में तुम्हारा मुस्कुराना सर्वश्व माँगता है !

प्रत्युत्तर में मुस्कुरा देता हूँ मैं भी !

तुम्हारी और मेरी मुस्कान को समानार्थी समझती हो तुम -

जबकि संवादों में अंतर है -“ही” और “भी” निपात का !

संभवतः अल्प है तुम्हारा व्याकरण ज्ञान -

तुम्हरी प्रबल आस्था के सापेक्ष !

 

सुनो ,

मैं देव न हो सकूंगा !

मेरे गीतों में सूखी रहेगी झील !

मैं व्याकरण की कसौटी पर परखूँगा हर संवाद !

 

सुनो ,

मुझसे प्रेम करना छोड़ क्यों नहीं देती तुम ?

.

.

.

.

...................................................... अरुन श्री !
"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 950

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 12, 2013 at 12:15pm

 अर्ध्य से पहले कसौटी पर परखे, क्या पत्थर नम हो सकेगा ? मन को झकझोर दिया रचना ने | बहुत बधाई श्री अरुण श्रीवास्तव जी 

Comment by Arun Sri on September 12, 2013 at 11:15am

वंदना मैम , हार्दिक धन्यवाद आपका !

Comment by Arun Sri on September 12, 2013 at 11:14am

वीनस सर , मैं कहाँ कुछ लिखता हूँ ! वो तो कविताएँ आ जाती हैं मेरे पास ! फिर उनके प्राकट्य का माध्यम बनना पड़ता है ! अब जब इसमें मेरा कोई "हाथ" नहीं तो कोई आक्षेप भी नहीं होना चाहिए मुझपर ! सब अपनी जिम्मेदारी पर पढ़ें कविता !  :-)))))))))))))
आप जैसे पारखी की सराहना ने बहुत बल दिया ! हार्दिक आभार !

Comment by Arun Sri on September 12, 2013 at 11:09am

गीतिका वेदिका मैम , रचना से आपका ऐसा जुडाव मेरे लिए हर्ष का विषय है ! धन्यवाद !

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 11, 2013 at 10:56pm

आह!!! अहा!!! निःशब्द कर दिया गज़ब की प्रस्तुति प्रस्तुत की है आपने आदरणीय अरुन भाई जी मन प्रसन्न हो गया पढ़कर हृदयतल से ढेरों ढेरों बधाइयाँ भाई जी

Comment by ram shiromani pathak on September 11, 2013 at 8:46pm

बजबजाती नालियों में पवित्र जल सड़ गया आखिर !

मैं देव न हुआ !////अनुपम/गागर में सागर   ///हार्दिक  बधाई  आपको आदरणीय भाई अरुण जी //सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 11, 2013 at 7:22pm

अद्भुत.... सीधे चिंतन की परतों को भेद हृदय तक पहुँच झकझोरती रचना 

हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 11, 2013 at 3:05pm
आदरणीय अरुण भाई , बेहतरीन रचना , पढ के मौन हो गया हूँ ! बहुत बधाई !!
Comment by विजय मिश्र on September 11, 2013 at 12:59pm
कितनी सुंदर रचना ,ध्येय को टोकती -फटकारती मगर चुमकारती हुई सहज ही समाप्त हो जाती है ! 'भी ' और 'ही ' का प्रभावबोध मन को हीला गया . एक गंभीर चिंतन का आभास कराती है . अनेक बधाई अरुन श्री. जी .
Comment by vandana on September 11, 2013 at 6:23am

एकदम परिपक्व .....गज़ब की रचना है सर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service