For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कला गीतिका-दौर गम का ये पिघलने दो जरा

बहरे रमल मुसद्दस महजूफ
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 212
--------------------------
हसरतें बेताब जलने दो ज़रा।
दौर गम का ये पिघलने दो जरा।
*****
मन जला है तन जला है इश्क में,
प्यार की अब साँझ ढलने दो ज़रा।
*****
प्यास होठों को सुखाये जा रहा,
भर नजर से जाम चलने दो ज़रा।
*****
होश में हम रोज रोते ही रहें,
अश्क पीकर आज हँसने दो ज़रा।
*****
आ उजाड़ो शौक से ऐ आँधियों,
बस्तियां दो चार बसने दो ज़रा।
******
आप बैठो और लेटो बात क्या,
बस मुझे भी पाँव रखने दो ज़रा।
*****
तोड़ जाते हो चमन के फूल क्यों,
छोड़ दो गुलशन महकने दो ज़रा।

मौलिक एवं अप्रकाशित रचना।
राय सादर स्वीकार्य है।

Views: 887

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shree suneel on June 13, 2015 at 9:05am
तोड़ जाते हो चमन के फूल क्यों,
छोड़ दो गुलशन महकने दो ज़रा।... ख़ूब
अच्छी ग़ज़ल आदरणीय. बधाई आपको.
Comment by वीनस केसरी on June 12, 2015 at 11:16pm

वाह बहुत खूब ...
समर साहब की इस्लाह से एक शेर जिसमें कुछ कमी थी वो भी दुरुस्त हो गया ...

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on June 12, 2015 at 8:29pm
आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी बेहद शुक्रिया सुझाव के लिये।
Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on June 12, 2015 at 8:27pm
जनाब समर कबीर जी इस्लाह के लिये तहेदिल शुक्रिया आपका।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 12, 2015 at 8:03pm

 आ० सुनीलजी

बहुत सुन्दर गजल मन जला है तन जला है इश्क में,
प्यार की अब साँझ ढलने दो ज़रा।
*****
प्यास होठों को सुखाये जा रहा,----------------रही करने से तकाबुले रदीफ़ भी दूर हो जायेगा
भर नजर से जाम चलने दो ज़रा।
*****
होश में हम रोज रोते ही रहें,
अश्क पीकर आज हँसने दो ज़रा।

Comment by Samar kabeer on June 12, 2015 at 7:10pm
जनाब सुनील प्रसाद जी,आदाब,आपकी गीतिका पसंद आई लेकिन एक मतला और दो शैर में आपने क़ाफ़िये जलने ,पिघलने ,चलने लिये हैं और बाक़ी अशआर में बसने ,महकने आदि. क़ाफ़िये लिये हैं ,

"प्यास होठों को सुखाये जा रहा"

ये मिसरा इस तरह लिखना उचित होगा :-

"प्यास होठों को सुखाये जा रही"

बाक़ी शुभ शुभ ।
Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on June 12, 2015 at 2:29pm
तारीफ और हौसलाफजाई के लिये शुक्रिया जनाब नरेन्द्र सिंह चौहान जी आपका।
Comment by narendrasinh chauhan on June 12, 2015 at 11:05am

हसरतें बेताब जलने दो ज़रा।
दौर गम का ये पिघलने दो जरा।

होश में हम रोज रोते ही रहें,
अश्क पीकर आज हँसने दो ज़रा।

तोड़ जाते हो चमन के फूल क्यों,
छोड़ दो गुलशन महकने दो ज़रा।  लाजवाब सर

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on June 12, 2015 at 8:47am
सादर आभार आदरणीय मनोज कुमार अहसास जी।
Comment by मनोज अहसास on June 12, 2015 at 7:23am
बहुत खूब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
21 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service