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कोण तलाशते लोग

तुम गोलाई में तलाशते हो कोण
सीधी सरल रेखा को बदल देते हो
त्रिकोण में
हर बात में तुम तलाशते हो
अपना ही एक कोण
तुम्हें सुविधा होती है
एक कोण पकड़कर
अपनी बात कहने में
बिन कोण के तुम
भीड़ के भंवर में
उतरना नहीं चाहते
तुम्हें या तो तैरना नहीं आता
या तुम आलसी हो
स्वार्थी और सुविधा भोगी भी
तुम्हें सत्य और झूठ से भी मतलब नहीं है
इस इस देश में गढ़ डाले है
तुमने हजारो लाखों कोण
हर कोण से तुम दागते हो तीर
ह्रदय को लक्ष्य करके
जब देश नहीं रहेगा
खींचकर बाहर लाये जायेंगे
कोनो में छुपे लोग
कोनों को फिर मूँद दिया जाएगा
अंधे पत्थरों से ....
नीरज कुमार नीर/ मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by Neeraj Neer on September 17, 2015 at 9:44am

आपका हार्दिक स्वागत है आदरणीय Dr. Vijai Shanker  जी ..... हार्दिक धन्यवाद 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 17, 2015 at 9:16am
कुछ कहूँ , कुछ जोडूँ ,

सच तो यह है कि
तुम एक कोण में रहते हो ,
वहीं तक सीमित रह गए हो ,
उससे बाहर निकल ही नहीं सकते ,
डरते हो , क्योंकि वही तुम्हारा गढ़ है ,
पहचान है , उसके बाहर तुम्हें डर है
खो जाने का , विलुप्त हो जाने का।
बधाई , बहुत बहुत , आदरणीय नीरज कुमार नीर जी , सादर।
Comment by Neeraj Neer on September 4, 2015 at 8:31pm

आपका बहुत धन्यवाद आदरणीया कांता राय जी ॥ 

Comment by Neeraj Neer on September 4, 2015 at 8:30pm

आदरणीय श्री सुनील जी रचना को समर्थन एवं प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद आपका ॥ 

Comment by Neeraj Neer on September 4, 2015 at 8:30pm

आदरणीया शशि जी आपका बहुत आभार । 

Comment by Neeraj Neer on September 4, 2015 at 8:29pm

आदरणीया प्रतिभा जी रचना को समर्थन देने के लिए आपका हार्दिक आभार । 

Comment by Neeraj Neer on September 4, 2015 at 8:28pm

आदरणीय मिथिलेश जी रचना आपको पसंद आई .... बहुत बहुत आभार आपका । 

Comment by kanta roy on September 1, 2015 at 10:15pm
इस इस देश में गढ़ डाले है
तुमने हजारो लाखों कोण
हर कोण से तुम दागते हो तीर
ह्रदय को लक्ष्य करके ...... बहुत ही सुंदर रचना आदरणीय नीरज कुमार जी । बधाई स्वीकार करें ।
Comment by shree suneel on September 1, 2015 at 10:20am
जब देश नहीं रहेगा
खींचकर बाहर लाये जायेंगे
कोनो में छुपे लोग
कोनों को फिर मूँद दिया जाएगा
अंधे पत्थरों से .... सच हीं कहा है आपने. मुखरता जरूरी है. आगाह करती इस गम्भीर कविता के लिए बधाई आपको आदरणीय नीरज जी.
Comment by shashi bansal goyal on August 31, 2015 at 7:17pm
वाह बहुत ही गहन प्रस्तुति ।

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