For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घुर्र्र घुर्र.. फट. फट..फट..फट  ... “या अल्लाह आग लगे इसकी फटफटिया को  मरदूद कहीं का जब देखो हमें फूँकने के लिए घर के सामने ही फट फट करता रहता है इसे दूसरे के सिर दर्द की  क्या परवाह ” |

“बस करो.. बस करो.. बेगम, क्यूँ बिला बजह कोसती रहती हो, आग लगे.. आग लगे.. हरदम यही बददुआ देती रहती हो खुदा  से डरो मोटरसाइकिल है तो आवाज तो करेगी ही”|

“बस बस!!  तुम तो चुप ही रहो तुम्हें कुछ समझ नही आता| अब्बाजान को भी कितनी तकलीफ होती है ये तेज आवाज सुनकर मालूम है ” |

“किसी को कोई तकलीफ नही होती बल्कि मैं तुम्हारी तकलीफ अच्छी तरह से जानता  हूँ  एक ही फेक्ट्री में एक ही ओहदे पर होने के कारण मेरे घर साइकिल तो पड़ोसी के  घर मोटरसाइकिल कैसे आ गई? यही है न तुम्हारे सिर दर्द का कारण? अरे, उनकी कुछ पुश्तैनी जायदाद भी तो है जो अपने पास नही है समझा कर” |

“ओ बहन जी आपके बेटे को  होश आया है जल्दी जाओ आपको बुला रहा है”

वार्डब्वाय के शब्द सुनकर रेहाना एकदम से वर्तमान में लौट आई उठकर अन्दर की तरफ भागी जहाँ उसका आठ वर्ष का बेटा झुलसा हुआ जिन्दगी से जद्दोजहद कर रहा था  |

“हाय मेरे बच्चे, ये सब क्या कैसे हो गया??  कैसा है तू ? किंतनी बार कहा था वहाँ खेलने मत जाया कर पर तुम्हें तो उस फटफटिया  की सवारी मुँह लग गई थी न अपने बाप की साइकिल थोड़े ही अच्छी लगती थी” |

“अम्...मी अम्मी ,अ. अ.. अब तो आ..आप  खुश हैं न... शकील भाई जान  की फटफटिया जल गई... अब तो.. दद्दू  को तकलीफ नहीं होगी ना”? आ..प   अब्बू से  लड़ाई नही करोगी ना” ?

“अम्मी, मैं वहाँ खेलने नहीं गया था ..मैं घर से माचिस लेकर गया था”|

और बोलते- बोलते बच्चे का सिर अम्मी की गोद में लुढक गया |   

मौलिक एवं अप्रकाशित    

Views: 1415

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 11, 2016 at 8:37am

आपका कहना सही है अलका जी,हम समझ ही नहीं पाते की अनजाने में हम ही बच्चो के मन में  negative thoughts भर रहे है 

आपने गहराई से लघु कथा के मर्म को महसूस किया आपको लघु कथा अच्छी लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभार आपका | 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 9, 2016 at 9:09pm

बच्चो का मासूम मन द्वेष भाव नहीं समझता उसने तो बस शब्द सुने और अमल कर दिया ,सच हम समझ ही नहीं पाते की अनजाने में हम ही बच्चो के मन में  negative thoughts भर रहे है ।सादर हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 8, 2016 at 7:01pm

प्रिय प्रतिभा जी,आपकी प्रतिक्रिया से मैं अपने लेखन कर्म के प्रति आश्वस्त हुई आपने दुबारा अपना बहुमूल्य  समय  देकर इस रचना का मान बढ़ाया दिल से आभारी हूँ |

Comment by pratibha pande on September 8, 2016 at 11:54am

 // बच्चा माँ बाप से तारीफ पाने का भूखा होता है सही गलत का उसे इतना ज्ञान नहीं होता और फिर रोज ही एक बात सुनता रहता है घर में तो उस बाल सुलभ मन में ये प्लान जन्म लेता है //   सही कहा आपने ..इस तथ्य के आलोक  में ये कथा लाजवाब बनी है ...आपका आभार आदरणीया ....जो बिंदु मुझसे स्लिप हुआ था उसपर मार्गदर्शन के लिए  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 8, 2016 at 10:42am

प्रिय कल्पना भट्ट जी,लघु कथा पर आपका मुखर अनुमोदन पाकर हर्षित हूँ आपको इसके निमित्त सन्देश सार्थक लगा  आपका बहुत बहुत आभार |

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 7, 2016 at 10:30pm

मार्मिक कथा हुई है आदरणीया राजेश दी | अनेको सन्देश दे रही है आपकी यह कथा | हार्दिक बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 7, 2016 at 7:47pm

आपको  लघु कथा पसंद आई विनय कुमार जी दिल से बहुत- बहुत आभार आपका |

Comment by विनय कुमार on September 7, 2016 at 7:09pm

बच्चे हमसे ही तो सीखते हैं, बहुत बढ़िया और मार्मिक रचना| बहुत बहुत बधाई आपको 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 7, 2016 at 10:54am

आद० तेजवीर सिंह जी,लघु कथा आपको सार्थक लगी हृदय स्पर्शी  लगी मेरा लेखन सफल हुआ दिल से बहुत बहुत आभार | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 7, 2016 at 10:53am

जी अर्चना त्रिपाठी जी बिलकुल सही बात बच्चों के मन से जो पौधे उगते हैं उसके बीज तो हम ही डालते हैं लघु कथा आपको सार्थक लगी सन्देश प्रद लगी मेरा लेखन सफल हुआ दिल से बहुत बहुत आभार |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार "
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"मेरे कहे को मान देने के लिए आपका आभार।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आशा है अवश्य ही शीर्षक पर विचार करेंगे आदरणीय उस्मानी जी।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"गुत्थी आदरणीय मनन जी ही खोल पाएंगे।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"धन्यवाद आदरणीय उस्मानी जी, अवश्य प्रयास करूंगा।"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"नमस्कार। प्रदत्त विषय पर एक महत्वपूर्ण समसामयिक आम अनुभव को बढ़िया लघुकथा के माध्यम से साझा करने…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी आपने रचना के मूल भाव को खूब पकड़ा है। हार्दिक बधाई। फिर भी आदरणीय मनन जी से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"घर-आंगन रमा की यादें एक बार फिर जाग गई। कल राहुल का टिफिन बनाकर उसे कॉलेज के लिए भेजते हुए रमा को…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदाब। रचना पटल पर आपकी उपस्थिति, अनुमोदन और सुझाव हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय वामनकर जी।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service