For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ख़्वाब का माहताब ....

ख़्वाब का माहताब ....

तुम्हारे
अंधेरों में
मेरे हिस्से के
उजाले
तुम्हारी मुहब्बत की
गिरफ़्त में
बे-आवाज़
सिसकते रहे

और तुम
मेरी चश्म से
शीरीं शहद से
लम्हों को
कतरों में समेटे
बहते रहे

मेरा ज़िस्म
तुम्हारे लम्स
की हज़ारों
खुशबुओं के  
कफ़स में
सांस लेता रहा

आफ़ताब की शरर ने
उम्मीद की दहलीज़ को
हक़ीक़त की
आतिश से
ख़ाक में
तब्दील कर दिया

किसी के
इंतज़ार को
बुझते हुए दिए ने
अंधेरों का
अंजाम दे दिया

पलकों की चिलमन
रूहानी माहताब  की
मुन्तज़िर हो गई

वक्त की गर्द में
हसीं लम्हों के शजर 

बेजान होते गए 

तुम दूर से
और दूर होते गए


रूख़सारों पे
अश्कों के निशां
सूखने लगे
तारीकियों के पैराहन में
तदबीर सोने लगी
हर सहर
तेरा इंतज़ार
मेरी शब् का
जवाब बन गई

और
तुम्हारी तमन्ना
मेरे ख़्वाब का
माहताब बन गई

सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 795

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 6, 2017 at 1:43pm

आदरणीय डॉ आशुतोष जी प्रस्तुति को अपनी स्नेह बरखा से पल्लवित करने का हार्दिक आभार। भविष्य में कठिन उर्दू शब्दों का हिंदी अनुवाद देने का प्रयत्न करूंगा। हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on January 6, 2017 at 1:38pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी ये मेरा सौभाग्य है की आप जैसे ज्ञानियों के चक्षुओं ने सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित किया। आपका हृदय की असीम गहराईयों से हार्दिक आभार। प्रस्तुति आदरणीय समर कबीर जी की मार्गदर्शन के अनुसार पूर्व में ही संशोधित कर दी थी। आपके इस आत्मीय स्नेह का शुक्रिया। 

Comment by Sushil Sarna on January 6, 2017 at 1:35pm

आदरणीय डॉ गोपाल जी भाई साहिब आप जैसे गुणीजनों से मुखारविंद से सृजन को जो मान मिला है उसके लिए मैं हृदयतल से आपका आभारी हूँ। 

Comment by Sushil Sarna on January 6, 2017 at 1:33pm

आदरणीय समर कबीर साहिब आप के दिल से निकले मन मुदित करते अल्फ़ाज़ों ने प्रस्तुति को अमरत्व प्रदान किया है। बन्दा आपका शुक्रगुज़ार है। आपके द्वारा इंगित त्रुटियों को ठीक करके उसे संशोधित रूप में पुनः प्रेषित कर दिया था जो आपके सामने है। आपका ये मार्गदर्शन सदैव मेरे सृजन को जीवंत कर देता है । इस हेतु आपका तहे दिल से शुक्रिया। सदर  .... 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 6, 2017 at 10:03am
आदरणीय सरना जी वाकई कमालकी रचना सुदर भाव साढ़े हुए बेहतरीन शब्दों क प्रयोग दो तीन बार पढ़ा इस रचना को उर्दू जे शब्दों के अर्थ भी लिखने का आपसे निवेदन कर रहा हूँ थोडा संजना आसान हो जाता है ढेर सारी बधाई के साथ

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 6, 2017 at 1:22am

वाह वाह वाह ... आपने क्या खूब नज़्म लिखी है. लाज़वाब. सीधे दिल में उतर गई. दिल खुश कर दिया आपकी प्रस्तुति ने. आदरणीय सुशील सरना सर, इस शानदार प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई. आदरणीय समर कबीर जी द्वारा साझा किये अनुसार संशोधन पश्चात् नज़्म और भी ज्यादा निखर जायेगी. सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 5, 2017 at 7:56pm

आ० सरना जी . आप जब रंग में होते हैं तो बस रंग में होते हैं . आपकी कविता बहुत ही हसीन  कविता है . सादर .

Comment by Samar kabeer on January 5, 2017 at 2:44pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,बेहद जज़्बाती कविता हुई है,एक एक लफ़्ज़ मोती की तरह जड़ दिया है आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
18वीं पंक्ति में"क़फ़स"शब्द पुल्लिंग हे,इसलिये "ख़ुशबुओं की क़फ़स"को"ख़ुशबुओं के क़फ़स"कर लीजियेगा ।
36,37वीं पंक्ति में टाइपिंग मिस्टेक 'शज़र'को "शजर"और 'बेज़ान'को "बेजान'कर लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
9 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service