For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - सोचो कुछ उनके बारे में, जिनका दिया जला नहीं

मुफ्तइलुन मुफाइलुन  //  मुफ्तइलुन मुफाइलुन

2112       1212      //   2112      1212

क्या करें और क्यों करें, करके भी फायदा नहीं

दिल में जो दर्द है तो है, लब पे कोई गिला नहीं 

 

उसके कहे से हो गये, लाखों के घर तबाह पर 

उसने कहा कि उसने तो, कुछ भी कभी कहा नहीं

 

सच तो हमेशा राज था, सच था हमेशा सामने

सच तो सभी के पास था, ढूंढे से पर मिला नहीं 

 

दोनों के दोनों चुप थे पर, गहरे में कोई शोर था

दोनों ने ही सुना मगर, दोनों ने कुछ कहा नहीं

           

जाने खिलेंगे ख्वाब कब, जाने कब आएगी बहार,  

वक्त के आसमान पर, अब भी कोई घटा नहीं

 

जब भी जलाओ तुम दिए, अपनी मुड़ेर पर कभी  

सोचो कुछ उनके बारे में, जिनका दिया जला नहीं

"मौलिक-अप्रकाशित" 

Views: 1155

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ajay Tiwari on October 20, 2017 at 7:43am

आदरणीय बासुदेव जी, हार्दिक धन्यवाद.

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 19, 2017 at 9:00pm
वाहहह अजय तिवारी जी इस खूबसूरत ग़ज़ल की दिल से बधाई। बहुत गहरी बातें कही हैं।
Comment by Ajay Tiwari on October 19, 2017 at 6:55pm

आदरणीय समर साहब, आदाब, 

आपके उदार उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद. आपका सुझाव उपयुक्त है. परिवर्तन कर लूँगा.

आपको भी दीपवाली की बधाईयाँ और हार्दिक शुभकामनायें. 

सादर 

Comment by Samar kabeer on October 19, 2017 at 5:33pm
आपको दीपावली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ।
Comment by Samar kabeer on October 19, 2017 at 5:12pm
जनाब अजय तिवारी जी आदाब,बहुत उम्दा और शगुफ़्ता ग़ज़ल हुई है ,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
मतले के सानी मिसरे में 'दुआ'की जगह "गिला"क़ाफ़िया ज़ियादा मुनासिब होगा,आपका क्या ख़याल है ?
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 19, 2017 at 3:55pm
ज़िन्दगी के आम तज़ुर्बों पर बढ़िया प्रस्तुति के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय अजय तिवारी जी। दीपोत्सव पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
Comment by Ajay Tiwari on October 19, 2017 at 1:35pm

आदरणीय सलीम साहब, हार्दिक धन्यवाद.

Comment by Ajay Tiwari on October 19, 2017 at 1:34pm

आदरणीय अफरोज़ साहब, हार्दिक धन्यवाद.

Comment by SALIM RAZA REWA on October 19, 2017 at 10:02am
जनाब अजय तिवारी जी.
ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए मुबारक़बाद.
Comment by SALIM RAZA REWA on October 19, 2017 at 10:00am
आ अजय तिवारी जी,
ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service