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इश्क इससे क्यूँ दुबारा हो गया (ग़ज़ल 'राज')

२१२२ २१२२ २१२

थोड़े  थोड़े में गुजारा हो गया 
मुश्तभर किस्सा हमारा हो गया 


कहकशाँ में ढूँढती बेबस नज़र    

ख़्वाब  अपना  इक सितारा हो गया

 

चाँद की चाहत कभी हमने न की 
एक जुगनू ही सहारा हो गया 

 

छटपटाती देख बेघर सीपियाँ 

दिल समन्दर का किनारा हो गया

 

बेवफा इस जिन्दगी ने फिर ठगा        

इश्क इससे क्यूँ दुबारा हो गया

 

 बातों बातों हार बैठे दिल को हम  

 बेखुदी में बस  ख़सारा हो गया

 

सब गुलों को है खटकता वो गुलाब

जो सुखन में इस्तआरा हो गया 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 14, 2017 at 12:01pm

आद० कालीपद प्रसाद जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभार .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 14, 2017 at 12:00pm

आद० अफरोज़ सहर जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभार .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 14, 2017 at 11:59am

आद० मोहम्मद आरिफ जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभार .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 14, 2017 at 11:58am

आद० समर भाई जी ,आपकी कसौटी पर ग़ज़ल खरी उतरी जानकर दिल को तसल्ली मिली आश्वस्त हुई .लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आपका .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 14, 2017 at 11:18am

आद० सलीम साहब ,आपको ग़ज़ल पसंद आई दिल से बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by TEJ VEER SINGH on November 14, 2017 at 11:06am

हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी।बेहतरीन गज़ल।

 

चाँद की चाहत कभी हमने न की 
एक जुगनू ही सहारा हो गया 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 14, 2017 at 9:34am

आदरणीया राजेश जी बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुयी है इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर ..खसारा ..इश्तिहारा का अर्थ क्या होता है अपनी जानकारी के लिए निवेदन के साथ 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on November 14, 2017 at 8:19am

आद राजेश कुमारी जी खूबसूरत ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद पेश करता हूँ |

Comment by Afroz 'sahr' on November 13, 2017 at 10:06pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए को आप हार्दिक शुभकामनाएँ,,,,
Comment by Mohammed Arif on November 13, 2017 at 6:49pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी आदाब, बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

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