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आइना जब क़ुबूल कहता है (ग़ज़ल 'राज')

२१२२ १२१२ २२

कोंचती है ये धूल कहता है

किस नफ़ासत से फूल कहता है

 

मख़मली ये लिबास चुभते हैं

रास्ते का बबूल कहता है

 

जिन्दगी से निबाह करती हूँ

आइना  जब क़ुबूल कहता है

 

अपने दम पे मक़ाम हासिल कर  

मुझसे मेरा उसूल कहता है 

 

चाहो मंजिल तो आबले न गिनो  

हर कदम पे रसूल कहता है

 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by rajesh kumari on March 1, 2018 at 6:26pm

आद० हर्ष महाजन जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत शुक्रिया |


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Comment by rajesh kumari on March 1, 2018 at 6:26pm

आद० नरेंद्र सिंह चौहान जी  ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत शुक्रिया |



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Comment by rajesh kumari on March 1, 2018 at 6:25pm

आद० संदीप कुमार जी आपको इतने समय बाद ओबीओ पर देख रही हूँ बहुत अच्छा लगा .आपने मेरी ग़ज़ल पर शिरकत की दाद दी आपका दिल से बहुत बहुत शुक्रिया |


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Comment by rajesh kumari on March 1, 2018 at 6:23pm

आद० बलराम धाकर जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by Harash Mahajan on February 23, 2018 at 3:32pm

काफी दिनों बाद आना हुआ । बहुत ही सुंदर पेशकश आपकी आ0 राजेश कुमारी जी । दिली दाद वसूल पाइयेगा ।

सादर

Comment by narendrasinh chauhan on February 14, 2018 at 12:37pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी इस रचना पर बहुत बधाई आपको 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 29, 2017 at 7:45pm

बड़े दिनों के बाद आज मंच पर आया हूँ 

पर आपकी ग़ज़ल पढ़ के मन खुश हो गया 

दिली दाद हाजिर हैं आदरणीया ..................जिन्दाबाद 

Comment by Balram Dhakar on December 25, 2017 at 11:16am

आदरणीया राजेश कुमारी जी, अशआर दर अशआर बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने। बहुत बहुत बधाई।

सादर।


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Comment by rajesh kumari on December 7, 2017 at 8:55pm

आद० अजय तिवारी जी ,आपको ग़ज़ल  पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत शुक्रिया


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Comment by rajesh kumari on December 7, 2017 at 8:54pm

आद० लक्ष्मण धामी भैया ,आपको ग़ज़ल पसंद आई दिल से शुक्रिया 

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