For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जनाब निलेश 'नूर' की ज़मीन में ग़ज़ल नम्बर 2 (कुछ नये क़वाफ़ी के साथ)

मैं तो उसकी पे ब पे अंगड़ाइयाँ गिनता रहा

और वो दामन की मेरे धज्जियाँ गिनता रहा

सौ गुनह होते ही पूरे मारना था इसलिये

मैं भी इक शिशुपाल की बदकारियाँ गिनता रहा

मेरे सीने पर सितम की मश्क़ वो करते रहे

और मैं मासूम दिल की किर्चियाँ गिनता रहा

काम जब कुछ भी नहीं था ओबीओ पर दोस्तो

'नूर' साहिब की मैं कूड़ेदानियाँ गिनता रहा

मेरी बर्बादी पे ख़ुश होकर अज़ीज़ों ने "समर"

कितनी छोड़ीं रात भर महताबियाँ गिनता रहा

-----

पे ब पे---लगातार

मश्क़---अभ्यास

'नूर'---निलेश नूर

म्हताबियाँ---आतिश बाज़ी

'समर कबीर'

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1131

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on July 13, 2018 at 6:25pm

जनाब बृजेश कुमार'ब्रज' जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Samar kabeer on July 13, 2018 at 6:24pm

जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Samar kabeer on July 13, 2018 at 6:23pm

मुहतरमा नीलम उपाध्याय जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 13, 2018 at 5:57pm

वाह खूब ग़ज़ल कही है आदरणीय..
सौ गुनह होते ही पूरे मारना था इसलिये
मैं भी इक शिशुपाल की बदकारियाँ गिनता रहा..बेहतरीन

Comment by Gurpreet Singh jammu on July 13, 2018 at 4:19pm

आदरणीय समर सर जी , इस ज़मीन में आपकी यह दूसरी ग़ज़ल भी बेहतरीन रही ,, मक़्ता बेहद पसंद आया

Comment by Neelam Upadhyaya on July 13, 2018 at 3:58pm

बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल की पेशकश के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय समर कबीर साहब ।    

"सौ गुनह होते ही पूरे मारना था इसलिये

मैं भी इक शिशुपाल की बदकारियाँ गिनता रहा। "

Comment by Samar kabeer on July 13, 2018 at 2:45pm

जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Samar kabeer on July 13, 2018 at 2:44pm

जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Samar kabeer on July 13, 2018 at 2:43pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Samar kabeer on July 13, 2018 at 2:42pm

जनाब आशीष श्रीवास्तव जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
11 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service