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कविता--कश्मीर अभी ज़िंदा है भाग-1


कश्मीर अभी ज़िंदा है
झेलम के ख़ून में
केसर के रक्त में नहाया
बेवाओं की चीख पुकार में
दहााड़ेंं मारती माँओं में
पत्थरबाज़ी में
कश्मीर अभी ज़िंदा है भटके नौजवानों में
कश्मीर अभी ज़िंदा है शहीदों के जनाज़ोंं में 

डरे सहमे शिकारों में
ख़ूूून से सनी पतवारों में
दया के लिए भीख माँगते हाथों में
धमकी भरे पत्रों में
हैण्ड ग्रेनेड में
मोर्टार और एके फोर्टी सेवन में
असंख्य हथियारों के ज़खीरों में
बरामद पाकिस्तानी हथियारों में
कश्मीर अभी ज़िंदा है शहीदों के ताबूतोंं में ।

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

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Comment by gumnaam pithoragarhi on June 18, 2018 at 8:34pm

वर्तमान की एकदम सही तस्वीर.....बधाई

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 18, 2018 at 7:50pm

नमस्ते आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब, बहुत प्रभावशाली कविता लिखी है आपने, हार्दिक बधाई आपको|

Comment by Samar kabeer on June 18, 2018 at 11:36am

जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,कश्मीर के दर्द को बयान करती बहुत गम्भीर और प्रभावशाली कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

दहाड़े--दहाड़ें

जनाजों--जनाज़ों

बेकसूर--बेक़सूर

खून--ख़ून

जखीरों--ज़ख़ीरों

Comment by Neelam Upadhyaya on June 18, 2018 at 11:29am

आदरणीय मुहम्मद आरिफ जी, नमस्कार । कश्मीर का दर्द बखूबी उकेरा है आपने।  मुबारकबाद कुबूल करें।    

Comment by Mohammed Arif on June 17, 2018 at 11:20pm

सियासी चहरे बदलते रहते हैं । छप्पन इंच का सीना भी हिजड़ा नज़र आ रहा है और कश्मीर ख़ून में नहा रहा है ।

हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 17, 2018 at 10:21pm

पर सियासद कितने दिन जिंदा रहने देगी कश्मीर को ? 

कश्मीर के दर्द को उकेरने के लिए आभार और बधाई ।

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