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सार छंद (मात्रिक विधान-16-12/16-12 )

छन्न पकैया छन्न पकैया ,बोले मीठी बोली ।

गाँवों , बाग़ो़ं गलियों छाई , टेसू की रंगोली ।।

.

छन्न पकैया छन्न पकैया , देखो, खिलता पलाश ।
पागल मतवाले भँवरों को , कलियों की है तलाश ।।

.

छन्न पकैया छन्न पकैया , टेसू मन को भाया ।
मतवाला, दीवाना, पागल, भँवरा भी इठलाया ।।

.

छन्न पकैया छन्न पकैया , उड़ता अबीर-गुलाल ।
यारों, संगी-साथी मिलकर ,करते मस्ती धमाल ।।

.

छन्न पकैया छन्न पकैया , पलाश के हैं झूमर ।
मौसम, यौवन, कलियाँ सबके , बदले-बदले तेवर ।।

.

छन्न पकैया छन्न पकैया , टेसू है नारंगी ।
रंग-बिरंगे रंग उड़ाते, सारे साथी संगी ।।

.

छन्न पकैया छन्न पकैया , होली सबको भाती ।
यौवन टेसू का देखे तो, जूही भी इतराती ।।

.

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Mohammed Arif on March 16, 2017 at 1:33pm
आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी और आदरणीय रवि शुक्ला जी मेरा सार छंद पर यह प्रथम प्रयास है । आप जैसे छंद शास्त्रियों का मार्ग-दर्शन मेरे लिए संजीवनी का काम करेगा । प्रयासरत हूँ । सादर ।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 16, 2017 at 12:12pm

सुंदर सार छंद के प्रयास हेतु बधाई | श्री अशोक रक्ताले जी और श्री शेख उस्मानी जी की सलाह पर गौर करे और संशोधन करले तो उचित रहेगा | सादर 

Comment by Ravi Shukla on March 16, 2017 at 11:26am

आदरणीय मोहम्‍मद आरिफ साहब सार छंद पर आपकी प्रस्‍तुति का स्‍वागत है छंदों पर मात्रा भार के अतिरिक्‍त उनका प्रवाह और शब्‍द कलों का संयोजन भी ध्‍यान में रखें तो सुन्‍दर छंद की रचना होती है आपके छंदो के लिये बहुत बहुत बधाई । सार छंद में दो गुरू से सम चरण का अंत सुंदर प्रवाह देता है । छंदो पर अधिक अभ्‍यास नहीं है इसलिये इतना ही कहेंगे । सादर

Comment by Mohammed Arif on March 15, 2017 at 11:22pm
बहुत-बहुत आभार शेख शहज़ाद उस्मानी जी । छंदों पर मेरा लगातार अभ्यास जारी है और आप जैसे गुणीजनों का मार्ग-दर्शन ही मेरे छंदों में निखार लाएगा ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 15, 2017 at 10:12pm
वाह ...बहुत अच्छा लगा आपको यह बेहतरीन प्रयास करते देख कर। बहुत बहुत मुबारक़बाद मोहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ साहब। 2,4के सम पदों के अंत में शायद मात्रा 22 होनी चाहिए।
Comment by Mohammed Arif on March 15, 2017 at 11:46am
बहुत-बहुत आभार आदरणीय अशोक रक्ताले जी और मार्गदर्शन का शुक्रिया ।
Comment by Ashok Kumar Raktale on March 15, 2017 at 11:23am
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी सादर बहुत अच्छे बसंत की मस्ती से भरे सार छंद रचे हैं । बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें। फिर भी दूसरे और चौथे का शिल्प जांच लें । पांचवे में भी गेयता कुछ कम लग रही है । देख लें । सादर ।

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