3. क्षणिकाएं :.....
1.
मैं
कभी मरता नहीं
जो मरता है
वो
मैं नहीं
... ... ... ... ... ... ...
2.
ज़िस्म बिना
छाया नहीं
और ]
छाया का कोई
जिस्म नहीं
... ... ... ... ... ... ... ...
3.
क्षितिज
तो आभास है
आभास का
कोई छोर नहीं
छोर
तो यथार्थ है
यथार्थ का कोई
क्षितिज नहीं
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय vijay nikore जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।
आदरणीय Mahendra Kumar जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।
आदरणीय Mohammed Arif जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।
आदरणीय Samar kabeer जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।
सुन्दर भाव... सुन्दर कथन । आपको हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील जी।
शानदार क्षणिकाएँ है आ. सुशील सरना जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,
उम्दा क्षणिकाएँ । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत उम्दा और वैचारिक क्षणिकाएं लिखीं हैं,मज़ा आ गया,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय narendrasinh chauhan जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।
बहोत सुन्दर
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