३६)
प्यारा लगता उसका साथ।
रोज़ मिलाता मुझसे हाथ।
बने हमकदम अपना मान,
क्या सखि साजन?
ना सखि लॉन!
37)
जब से वो जीवन में आया।
रोम-रोम में प्यार समाया।
खिले फूल सा महका तन-मन,
क्या सखि साजन?
ना सखि, यौवन!
38)
सखी! रात खिड़की से आया।
फूँक मारकर दिया बुझाया।
चैन लूट ले गया ठगोरा,
क्या सखि साजन?
नहीं, झकोरा!
39)
उससे जुड़े हृदय के तार।
मुझे बुलाता बारंबार।
बोल सुरीले, सुमधुर टोन,
क्या सखि, साजन?
ना री, फोन!
40)
उससे मेरी रातें रोशन।
संग जागता रहता बन-ठन।
रूठे तो मन करता धक-धक
क्या सखि साजन?
ना सखि, दीपक?
41)
बार बार वो झाँका करता।
घंटों मुझको ताका करता।
रंग-रूप ज्यों एक नगीना,
क्या वो साजन?
ना, आईना!
42)
जहाँ रहूँ वो रहता याद।
मन-आँगन उससे आबाद।
वो मेरा सच्चा मनमीत,
क्या सखि साजन?
ना सखि, गीत!
43)
जब तब वो उपदेश सुनाए।
कर न सकूँ जो मन में आए।
शाश्वत प्रेम सिखा हिय जीता,
क्या सखि प्रेमी?
ना सखि, गीता!
44)
चाहे देखूँ बरसों बाद।
नज़र पड़े सब आए याद।
कैसे भूलूँ वो है खास,
क्या सखि प्रियतम?
ना, इतिहास!
45)
आते जाते नज़र मिलाता।
स्वागत में बाहें फैलाता।
घर गुलशन का वो है राजा,
क्या सखि साजन?
ना, दरवाजा!
46)
जब नैया हिचकोले खाए।
बुज़दिल बढ़कर पास न आए।
हँसे दूर से, करे इशारा,
क्या सखि, साजन?
नहीं, किनारा!
47)
जब से उसने नाता जोड़ा।
पल भर को भी हाथ न छोड़ा।
सत्य कहूँ सखि मैं ना झूठी,
क्या वो साजन?
नहीं, अँगूठी!
48)
जाने कौन दिशा से आया।
मुखड़ा चूमा प्यार जताया।
सखि, मैं हो गई लालम-लाल,
क्या सखि साजन?
ना री गुलाल!
49)
इंतज़ार में उसके रीते।
गिन-गिन दिवस महीने बीते।
आन रंग दी चुनरी-चोली,
क्या सखि साजन?
ना री होली।
50)
अगर करे वो मुझसे बात।
दिखने लगती दिन में रात।
मादकता भर जाती अंग,
क्या सखि साजन?
ना सखि, भंग।
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय सौरभजी, आपकी सराहना से लगता है लिखना सार्थक हुआ। आपका हृदय से आभार।
सामान्य संज्ञाओं को कह-मुरियों के माध्यम से आपने जैसा काव्य-कौतुक किया है वह प्रशंसनीय ही नहीं अनुकरणीय भी है.
सादर बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ.
आदरणीय प्रदीप जी, आ॰ नादिर जी, आ॰ चौथमल जी, आ॰ विजय जी, शशि जी, प्रोत्साहित करने के लिए आप सबका हार्दिक धन्यवाद।/सादर
वाह बहुत सुन्दर कल्पना दीदी बधाई
सुन्दर सी वह कहे मुकरियाँ।
चुनती है वो ऐसी कड़ियाँ।
सब ही चाहे जिसको पढ़ना।
क्या वो सपना ?नहीं कल्पना !
कल्पना रमानी जी ,बहुत सुन्दर रचना के लिए बधाई।
आदरणीया कल्पना जी सभी मुकरियाँ लाजवाब हैं ....
अलग अलग सुंदर दृश्य आपने दिखाये बहुत बढ़िया ...
bahut hi khoobsoorati se rachi gayin paheliyan, badhai Kalpana ji
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