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आदरणीय शेख उस्मानी जी ..भारतीय नारी के दिल की करुना और उदारता को दर्शाती शानदार लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई ..सादर
शीर्षक को परिभाषित करती अच्छी लघु कथा लिखी है आपने यही तो विडम्बना है हमारे देश की जहाँ औरत पति को भगवान् मानती है पर पति ??हार्दिक बधाई आपको
जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहिब , देसी औरत के कर्तव्य का अच्छा चित्रण किया है ...... बेहतर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
देसी औरत के चरित्र को बड़े ढंग से उभारा आपने आदरणीय -----------पर हाय देसीमर्द !
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