For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पेट की जुगाड़ (लघुकथा) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी (47)

चौंक गयी थी कुन्ती पहली बार इतनी बड़ी मशीनों को देखकर। तो अम्मा और कम्मो इसी लिए बुरी तरह थक जाती थीं । वह चीख कर कम्मो को रोकना चाह रही थी कि कारखाने के श्रमिक उसके पिता ने अपनी कठोर हथेलियां उसके मुँह पर रख दीं। फ़िर धीरे से उसके कान में उसने कहा - " पगली यहाँ पीछे से चिल्लायेगी , तो उसका हाथ मशीन में फंस न जायेगा !"

"बापू तुम इतनी कम उमर में कम्मो दीदी से ये काम करवाते हो !"

"पेट की जुगाड़ के लिए अगले बरस से तुझे भी आना पड़ेगा, तेरी अम्मा से अब नहीं होता । साहब कह रहे थे कि उसे घर पर बिठा, अब हमारे किसी काम की नहीं रही ! "

"हम नहीं आयेंगे बापू यहाँ, हम तो स्कूल जायेंगे और अब कम्मो को भी नहीं आने देंगे । अम्मा को भी कोई दूसरा काम दिला दो न !"

इसके आगे वह कुछ बोलती, उसके पहले ही वह उसे घसीट कर बाहर ले गया और बोला - "टी.वी. पे सरकारी दीदियों की बातें सुन सुन के बिगड़ रही है ! "

" और तुम कम्मो दीदी को बिगाड़ रहे हो !"

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 630

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 6:38am
रचना पटल पर उपस्थित हो कर हौसला अफ़ज़ाई हेतु सभी पाठकगण को तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 29, 2015 at 8:36pm

जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहिब , वाक़ई पेट इंसान से कुछ भी करवा सकता है। ...... बेहतर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 29, 2015 at 12:32pm

आ० उस्माने जी --------बहुत करीने सीप्नी बात राखी आपने , बधाई हो जनाब. 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 28, 2015 at 10:17pm
मेरी रचना पर उपस्थित हो कर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 28, 2015 at 10:15pm
अपना अमूल्य समय देकर रचना पर प्रोत्साहक टिप्पणी करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारी जी। अपने टिप्पणी में 'कहानी' शब्द लिखा , क्या यह लघु-कथा नहीं हो पाई है ?
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 28, 2015 at 10:12pm
मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थित हो कर रचना की सराहना करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सतविंदर कुमार जी ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 28, 2015 at 7:36pm

आदरणीय उस्मानी जी ..वाकई पेट की भूख को शांत करने के लिए क्यां क्या नहीं करना पड़ता है ..मजबूरी क्या होती है इसका अच्छा चित्रण किया है आपने ..इस रचना पर हार्दिक बधाई सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 28, 2015 at 7:20pm

अच्छी कहानी एक अलग ही विषय पर. पेट की आग क्या नहीं करवाती |बहुत बहुत बधाई आ० शेख़ उस्मानी जी .

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 28, 2015 at 12:53pm
लाचारी एक विडम्बना है।शिक्षा पर भी धन हावी है।सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय उस्मानी जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
16 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service