For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हक़बयानी लिख रहे हैं  - ग़ज़ल - बसंत

 

मापनी २१२२ २१२२ २१२२ २१२२ 

दूध को जो दूध और पानी को पानी लिख रहे हैं 

लोग वो कम ही बचे जो हक़बयानी लिख रहे हैं 

 

खेत में ओले पड़े हैं नष्ट सब कुछ हो चुका है 

कूल है मौसम बहुत वे ऋतु सुहानी लिख रहे हैं 

 

बस्तियाँ सुनसान हैं अब चुभ रहीं तीखी हवाएँ 

सूने-सूने घर महकती रातरानी लिख रहे हैं 

 

आस में अच्छे दिनों की गाँव छोड़ा था जिन्होंने

रोज रोटी नोन लकड़ी की कहानी लिख रहे हैं  

 

मानिए मत मानिए पर आज हम अपने हृदय को 

आपके कोमल हृदय की राजधानी लिख रहे हैं 

"मौलिक एवं अप्रकाशित" 

 

Views: 544

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 3, 2020 at 10:41am

आदरणीय श्री सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी सादर नमस्कार , आपकी हौसलाअफजाई के लिए दिल से शुक्रिया 

Comment by नाथ सोनांचली on May 2, 2020 at 6:35pm

आद0 बसन्त कुमार शर्मा जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल कही आपने। बधाई स्वीकार कीजिये।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 1, 2020 at 12:57pm

आदरणीय  सालिक गणवीर जी सादर नमस्कार, आपकी हौसलाअफजाई  के लिए दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 1, 2020 at 12:56pm

आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह  जी सादर नमस्कार, आपकी हौसलाअफजाई  के लिए दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 1, 2020 at 12:56pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर 'जी सादर नमस्कार, आपकी हौसलाअफजाई  के लिए दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 1, 2020 at 12:56pm

आदरणीय TEJ VEER SINGH जी सादर नमस्कार, आपकी हौसलाअफजाई  के लिए दिल से शुक्रिया 

Comment by सालिक गणवीर on April 30, 2020 at 6:11pm
आस में अच्छे दिनों की गाँव छोड़ा था जिन्होंने....
भाई बसंत कुमार जी,बेहद उम्दा ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद.
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on April 30, 2020 at 9:11am

आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी सादर अभिवादन आपकी गजल यथार्थ को समाहित किये हुए बेहतरीन भावों को उजागर कर रही है ,पढ़कर मन खुश हो गया ,बहुत बहुत बधाई

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 29, 2020 at 10:44pm

आ. भाई बसंत कुमार जी, सादर अभिवादन । एक उम्दा गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 29, 2020 at 5:51pm

हार्दिक बधाई आदरणीय बसंत कुमार जी। बेहतरीन गज़ल।

आस में अच्छे दिनों की गाँव छोड़ा था जिन्होंने

रोज रोटी नोन लकड़ी की कहानी लिख रहे हैं  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
3 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
3 hours ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service