For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ले के खाली गिलास बैठे हैं- ग़ज़ल - बसंत

मापनी 2122 1212 22/112

दोस्त जो आसपास बैठे हैं,

जाने क्यों सब उदास बैठे हैं 

 

सोचते हैं कि कोई आएगा, 

ले के खाली गिलास बैठे हैं. 

 

फिर से दरबार सज गया उनका, 

लोग सब ख़ास ख़ास बैठे हैं. 

 

कोई यूँ ही तो मिल नहीं सकता, 

द्वार पर उनके दास बैठे हैं. 

 

कौन बाँचेगा प्रेम की पाती 

मौन सब कालिदास बैठे हैं. 

 

आज क्यों सब निकालने के लिए, 

दिल में रख के भड़ास बैठे हैं. 

 

फूल से दुश्मनी निभाने को 

ले के वो चंद्रहास बैठे हैं

Views: 576

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 11, 2020 at 11:55am

आदरणीय Shyam Narain Verma जी सादर नमस्कार , आपकी हौसलाअफजाई  के लिए शुक्रिया 

Comment by TEJ VEER SINGH on May 8, 2020 at 12:35pm

हार्दिक बधाई आदरणीय  बसंत कुमार शर्मा जी ।बहुत बढ़िया गज़ल।

दोस्त जो आसपास बैठे हैं,

जाने क्यों सब उदास बैठे हैं 

 

सोचते हैं कि कोई आएगा, 

ले के खाली गिलास बैठे हैं. 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 8, 2020 at 8:32am
  1. आ. भाई बसंत जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
Comment by Awanish Dhar Dvivedi on May 7, 2020 at 7:59pm
बहुत सुन्दर
Comment by सालिक गणवीर on May 7, 2020 at 3:50pm

भाई बसंत कुमार शर्मा जी.

कौन बांचेगा प्रेम की पाती,मौन सब कालिदास बैठे हैं.।

बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें.

Comment by Samar kabeer on May 6, 2020 at 8:29pm

जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।

'लोग सब ख़ास ख़ास बैठे हैं'

इस मिसरे में उर्दू के हिसाब से क़ाफ़िया ग़लत है,देखियेगा । 

Comment by Shyam Narain Verma on May 6, 2020 at 10:38am
आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी, प्रणाम, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service