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लेके आया फिर से बचपन शायरी का सिलसिला
मौत से कह दो न रोके जिन्दगी का सिलसिला।१।
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रोक तेजाबों घुएँ की गन्दगी का सिलसिला
इन हवाओं में भरो कुछ ताजगी का सिलसिला।२।
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कोशिशें दस्तक जो देंगी शब्द तोड़ेगे कभी
मौन की गहरी हुई इस तीरगी का सिलसिला।३।
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हैं बहुत कानून अपनी पोथियों में यूँ मगर
रुक न पाया भ्रष्ट होते आदमी का सिलसिला।४।
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एक जुगनू ने कहा ये भर तमस के काल में
डर न तम से मैं रखूँगा रौशनी का सिलसिला।५।
मौलिक / अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
Comment
आ. भाई रामबली जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए धन््वादद।
बढियाँ ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें भाई लक्ष्मण धामी जी
आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए आभार ।
हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी। बेहतरीन गज़ल।
हैं बहुत कानून अपनी पोथियों में यूँ मगर
रुक न पाया भ्रष्ट होते आदमी का सिलसिला।४।
आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति, सराहना व मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद ।
आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति , सराहना व सलाह के लिए आभार ।
जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, बधाई स्वीकार करें ।
'रोक तेजाबों घुएँ की गन्दगी का सिलसिला'
इस मिसरे में 'तेजाबों' शब्द को
इस तरह लिखें "तेज़ाब-ओ-'
बाक़ी जनाब अमीर जी की बातों का संज्ञान लें ।
पारिवारिक कारणों से कुछ समय ओवीओ पर हाज़िर नहीं हो सकूँगा,सिर्फ़ तरही मुशाइर: में शिर्कत हो सकेगी,आपको कहीं मेरी ज़रूरत महसूस हो तो फ़ोन पर सम्पर्क कर सकते हैं ।
जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें।
चन्द टंकण त्रुटियां रह गयी हैं : 'रोक तेजाबों घुएँ की गन्दगी का सिलसिला' "तेजाबों घुएँ" = तेज़ाब ओ धुएँ
'लेके आया फिर से बचपन शायरी का सिलसिला' शायरी का सिलसिला. "शायरी". = शाइरी
'मौत से कह दो न रोके जिन्दगी का सिलसिला जिन्दगी का सिलसिला "जिन्दगी" = ज़िन्दगी
'इन हवाओं में भरो कुछ ताजगी का सिलसिला ताजगी का सिलसिला' "ताजगी". = ताज़गी
'कोशिशें दस्तक जो देंगी शब्द तोड़ेगे कभी'. शब्द तोड़ेगे कभी' "तोड़ेगे" = तोड़ेेंगे
'हैं बहुत कानून अपनी पोथियों में यूँ मगर'. हैं बहुत कानून' "कानून". = क़ानून
अब कुछ तकनीक पर बात करते हैं :
//लेके आया फिर से बचपन शायरी का सिलसिला
मौत से कह दो न रोके जिन्दगी का सिलसिला।१।// इस शैर के मिसरों में रब्त की कमी है: जो बात आप सानी में कह रहे हैं, वो (मौत का) अहसास बुढ़ापे में होना फ़ितरी है लेकिन ऊला में आप बचपन पर फोकस्ड हैं। *लेके आया फिर बुढ़ापा शाइरी का सिलसिला * कह के देखें।
//इन हवाओं में भरो कुछ ताजगी का सिलसिला।२।// हवाओं में ताज़गी कुदरती होती हम सिर्फ उस ताज़गी को बरक़रार रखने व गंदगी को रोकने का प्रयास कर सकते हैं। *इन हवाओं में रहे बस ताज़गी का सिलसिला* कह के देखें। सादर।
आ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिवादन ।गजल पर उपस्थिति, स्नेह व सराहना के लिए हार्दिक आभार ।
आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' भाई, इस लाजवाब ग़ज़ल पर आपको दाद और मुबारकबाद पेश करता हूँ!
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