(2122 1122 1122 22/112)
उनके ख़्वाबों पे ख़यालात पे रोना आया
अब तो मत पूछिये किस बात पे रोना आया
देखता कौन भरी आँखों को बरसातों में
फिर से आई हुई बरसात पे रोना आया
आप चाहें तो जो दो दिन में सुधर सकते हैं
उन बिगड़ते हुए हालात पे रोना आया
मुद्दतों जिनके जवाबात को तरसा हूँ मैं
आज कुछ ऐसे सवालात पे रोना आया
मुझको मालूम था अंजाम यही होना है
जीत रोने से हुई मात पे रोना आया
दिन सिसकते हुए गुज़रा है बड़ी मुश्किल से
अब सुबकती हुई इस रात पे रोना आया
काश दुनिया में सभी लोग बराबर होते!
आज फिर ऐसे ही जज़्बात पे रोना आया
आगे आती थी हँसी वस्ल की बातों पे मगर
आज क्यों ज़िक्र-ए-मुलाक़ात पेे रोना आया
लम्स जिसका था मुझे जान से प्यारा 'सालिक'
उसी मेेंहदी से सजे हाथ पे रोना आया
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
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साहिर लुधियानवी की कालजयी ग़ज़ल
"कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया"
की ज़मीन पर इस अदने से शाइर का विनम्र प्रयास.
आदरणीय भाई रवि भसीन 'शाहिद'को सादर समर्पित.
क्योंकि उनकी ग़ज़ल ने ही प्रेरित किया है.
Comment
भाई ब्रजेश कुमार 'ब्रज' जी
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी आमद और सराहना के लिए हृदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ. सादर एवं सप्रेम.
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है ज़नाब सालिक जी...
आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी मौजूदगी और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.
आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
आदरणीय सालिक गणवीर साहिब, आपको मेरी इस्लाह अच्छी लगी, ये मेरे लिए गौरव और सौभाग्य की बात है। आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' साहिब, आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' भाई, आपकी सराहना के लिए हार्दिक आभार।
भाई सुरेंद्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी मौजूदगी और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.
आद0 सालीक गणवीर जी सादर अभिवादन। अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई स्वीकार कीजिये। भाई रवि भसीन जी ने अच्छी इस्लाह की है। मुबारक़बाद उनको।
आदरणीय अमीरूद्दीन 'अमीर'साहिब
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी मौजूदगी और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.सादर.
आदरणीय भसीन साहब
आदाब
आज समझ आया कि किसी की ज़मीन पर अपनी ग़ज़ल कहना बहुत ही मुश्किल काम है. आपका हृदयतल से शुक्रिया अदा करता हूँ जो आपने अपना क़ीमती समय निकाला और इस नाचीज की ग़ज़ल को पठनीय बना दिया. मैंने समीर साहिब भी कहा है कि ये मंच साझा करने में देर हो गई. पुनः आपको कोटिशः धन्यवाद. आपका दिन शुभ हो.
आदरणीय जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार करें, और जनाब रवि भसीन शाहिद जी को भी इतनी बेहतर इस्लाह के लिए बधाई के साथ धन्यवाद।
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