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उनके ख़्वाबों पे ख़यालात पे रोना आया.(ग़ज़ल : सालिक गणवीर)

(2122 1122 1122 22/112)

उनके ख़्वाबों पे ख़यालात पे रोना आया
अब तो मत पूछिये किस बात पे रोना आया

देखता कौन भरी आँखों को बरसातों में
फिर से आई हुई बरसात पे रोना आया

आप चाहें तो जो दो दिन में सुधर सकते हैं
उन बिगड़ते  हुए हालात पे रोना आया

मुद्दतों जिनके जवाबात को तरसा हूँ मैं
आज कुछ ऐसे सवालात पे रोना आया

मुझको मालूम था अंजाम यही होना है
जीत रोने से हुई मात पे रोना आया

दिन सिसकते हुए गुज़रा है बड़ी मुश्किल से
अब सुबकती हुई इस रात पे रोना आया

काश दुनिया में सभी लोग बराबर होते!
आज फिर ऐसे ही जज़्बात पे रोना आया

आगे आती थी हँसी वस्ल की बातों पे मगर
आज क्यों ज़िक्र-ए-मुलाक़ात पेे रोना आया

लम्स जिसका था मुझे जान से प्यारा 'सालिक'
उसी मेेंहदी से सजे हाथ पे रोना आया

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

-------------------------------------------------------

साहिर लुधियानवी की कालजयी ग़ज़ल

"कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया"

की ज़मीन पर इस अदने से शाइर का विनम्र प्रयास.

आदरणीय भाई रवि भसीन 'शाहिद'को सादर समर्पित.

क्योंकि उनकी ग़ज़ल ने ही  प्रेरित किया है.

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Comment by सालिक गणवीर on August 11, 2020 at 9:43am

भाई ब्रजेश कुमार 'ब्रज' जी
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी आमद और सराहना के लिए हृदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ. सादर एवं सप्रेम.

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 4, 2020 at 9:35pm

बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है ज़नाब सालिक जी...

Comment by सालिक गणवीर on August 2, 2020 at 4:08pm

आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी मौजूदगी और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 1, 2020 at 5:32pm

आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।  

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on July 31, 2020 at 6:47pm

आदरणीय सालिक गणवीर साहिब, आपको मेरी इस्लाह अच्छी लगी, ये मेरे लिए गौरव और सौभाग्य की बात है। आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' साहिब, आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' भाई, आपकी सराहना के लिए हार्दिक आभार।

Comment by सालिक गणवीर on July 31, 2020 at 2:12pm

भाई  सुरेंद्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी मौजूदगी और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.

Comment by नाथ सोनांचली on July 31, 2020 at 12:18pm

आद0 सालीक गणवीर जी सादर अभिवादन। अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई स्वीकार कीजिये। भाई रवि भसीन जी ने अच्छी इस्लाह की है। मुबारक़बाद उनको।

Comment by सालिक गणवीर on July 31, 2020 at 9:37am

आदरणीय अमीरूद्दीन 'अमीर'साहिब
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी मौजूदगी और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.सादर.

Comment by सालिक गणवीर on July 31, 2020 at 9:35am

आदरणीय भसीन साहब

आदाब

आज समझ आया कि किसी की ज़मीन पर अपनी ग़ज़ल कहना बहुत ही मुश्किल काम है. आपका हृदयतल से शुक्रिया अदा करता हूँ जो आपने अपना क़ीमती समय निकाला और इस नाचीज की ग़ज़ल को पठनीय बना दिया. मैंने समीर साहिब भी कहा है कि ये मंच साझा करने में देर हो गई. पुनः आपको कोटिशः धन्यवाद. आपका दिन शुभ हो.

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 30, 2020 at 10:38pm

आदरणीय जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार करें, और जनाब रवि भसीन शाहिद जी को भी इतनी बेहतर इस्लाह के लिए बधाई के साथ धन्यवाद। 

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