फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
मेरे ही प्यार में पगी आई.
पास जब मेरी ज़िन्दगी आई.
उनके हिस्से में कुछ नहीं आया,
जिनको करना न बंदगी आई.
न किसी से लगा सके दिल को,
दिल से करना न दिल्लगी आई.
मेरी आँखों में देखकर आँसू,
उनके चेहरे पे ताज़गी आई.
प्यास सबकी बुझाई दरिया ने,
मेरे हिस्से में तिश्नगी आई.
दिल में जो था वो कह दिया मैंने,
पर न मुझको अदायगी आई.
"मौलिक एवं अप्रकाशित"
Comment
आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सादर नमस्कार
दिल से शुक्रिया आपकी हौसलाफजाई के लिए
आदरणीय सालिक गणवीर जी सादर नमस्कार
दिल से शुक्रिया आपकी हौसलाफजाई के लिए
आदरणीय Madhu Passi 'महक' जी सादर नमस्कार
दिल से शुक्रिया आपकी हौसलाफजाई के लिए
आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी आदाब , आपकीहै निरंतर हौसलाफजाई के लिए दिल से शुक्रिया
जिंदगी को प्रेमिका के प्रतीक रूप में लिया है
आ. भाई बसंतकुमार जी, सादर अभिवादन । सुन्दर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
भाई बसंत कुमार शर्मा जी
सादर अभिवादन
उम्दा ग़ज़ल कही है आपने जनाब,दाद और मुबारकबाद स्वीकार करें.
जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब, मतला समझने में क़ासिर हूँ, इस के इलावा ग़ज़ल के सभी अशआ़र लाजवाब हुए हैं, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।
आदरणीय आशीष यादव जी सादर नमस्कार
आपकी हौसलाफजाई का दिल से शुक्रिया
बहुत सुंदर। बड़े ही सहज ढँग से आपने बातों को कह दिया। बहुत बहुत बधाई हो।
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