For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज़ादी के पुनीत पर्व पर वीर रस की कविता

आज पुनः जब मना रहे हम, वर्षगाँठ आज़ादी की
आओ थोड़ी चर्चा करलें, जनगण मन आबादी की
जिन पर कविता गीत लिखूँ तो, झर-झर आँसू आते हैं
रोम-रोम में सिहरन होती, भाव सभी मर जाते हैं।।1

ऐसे भी हैं यहाँ कई जो, घर को सर पर ढोते हैं
घोर अँधेरा फुटपाथों पर, बिना बिछौना सोते हैं
गर्मी में तन झुलसे उनका, सर्दी हाड़ कँपाती है
तब जश्ने आज़ादी अपनी, उनको ख़ूब चिढ़ाती है।।2

भूखा प्यासा उलझा बचपन, भटक रहा अँधियारों में
फूटी क़िस्मत खोज रहा वह, कूड़े के गलियारों में
या ढाबों पर बर्तन धोता, माड़ भात ही पाता है
कुत्तों से भी बदतर हालत, जूठा पत्तल खाता है।।3

बाँध पीठ पर अपना बच्चा, जच्चा गारा ढोती है
और वहीं पर छोटी मुनिया, भूख प्यास से रोती है
दूध नहीं मिलता बच्चों को, तब वह लहू पिलाती है
जेठ दुपहरी में सूरज से, खुलके फिर लड़ जाती है।।4

दर्द प्रसव का सहते-सहते, मात कहीं मर जाती है
और मीडिया बिकी हुई बस, गीत भाट का गाती है
आज़ादी की बात यहाँ फिर, लगती है बेमानी सी
दूध दही की नदियों वाली, गाथा एक कहानी सी।।5

देश चमकता दिखता केवल, नेताओं के नारों में
लोकतंत्र भी गिरवी बैठा, सत्ता के गलियारों में
ऐसी आज़ादी पर आओ, आज ध्वजा फहराते हैं
अगले दिन से फिर हम अपने, धन्धे में लग जाते हैं।।6

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 612

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on August 26, 2020 at 1:29am

आज के हालात को स्पष्टता से बयां करती हुई कविता है। बेहतरीन रचना पर बधाई स्वीकार कीजिए।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 19, 2020 at 5:26pm

बहुत सुन्दर भवप्रिय रचना आदरणीय...

Comment by नाथ सोनांचली on August 19, 2020 at 2:35pm

आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम। आपकी उपस्थिति मेरे लिए पुरस्कार स्वरूप होती है। बहुत-बहुत आभार आपका

Comment by नाथ सोनांचली on August 19, 2020 at 2:34pm

आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी सादर अभिवादन। आभार आपका

Comment by Samar kabeer on August 18, 2020 at 4:13pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 18, 2020 at 8:57am

आ. भाई सुरेंद्र नाथ जी, सादर अभिवादन । बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by नाथ सोनांचली on August 17, 2020 at 4:34pm

आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। रचना पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया से आह्लादित हूँ। आभार आपका

Comment by Sushil Sarna on August 16, 2020 at 4:19pm
वाह आदरणीय बहुत ही मार्मिक और यथार्थ परिस्थितियों की जीवन्त अभिव्यक्ति हुई है ।दिल से बधाई सर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service