2122 2122 212
तेरे कहने से ही क्या हो जाएगा
जो बुरा है वो भला हो जाएगा (1)
जो पुराना जख़्म माज़ी ने दिया
दो ही दिन में क्या नया हो जाएगा (2)
खाद पानी मिलने से ही क्या शजर
वक़्त से पहले बड़ा हो जाएगा (3)
है अलग सबसे ख़ज़ाना प्यार का
ख़र्च कीजै दोगुना हो जाएगा (4)
दोस्ती में दर्द-ओ-ग़म हो या ख़ुशी
जो भी तेरा है मेरा हो जाएगा (5)
क़द अगर छोटा है उसका दोस्तो
मैं झुका तो वो बड़ा हो जाएगा (6)
ये नहीं सोचा था मैंने ख़्वाब में
एक पत्थर देवता हो जाएगा (7)
दूर होने से बढ़ीं नज़दीकियाँ
पास होंगे फासला हो जाएगा (8)
*मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और सराहना के लिए कोटिशः धन्यवाद।
प्रिय भाई Krish mishra 'jaan' gorakhpuri जी
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और सराहना के लिए कोटिशः धन्यवाद।
जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।
तेरे कहने से ही क्या हो जाएगा
जो बुरा है वो भला हो जाएगा? (1).........क्या बात है क्या खूब मतला है आदरणीय!
जो पुराना जख़्म माज़ी ने दिया
दो ही दिन में क्या नया हो जाएगा (2)....ये शे'र मानीखेज़ नहीं हुआ मेरी समझ में।
खाद पानी मिलने से ही क्या शजर
वक़्त से पहले बड़ा हो जाएगा (3 बहुत बेहतरीन,शानदार.
है अलग सबसे ख़ज़ाना प्यार का
ख़र्च कीजै दोगुना हो जाएगा .....वाह वाह जबरदस्त।
दोस्ती में दर्द-ओ-ग़म हो या ख़ुशी
जो भी तेरा है मेरा हो जाएगा (5) गज़ब,कमाल शे'र
क़द अगर छोटा है उसका दोस्तो
मैं झुका तो वो बड़ा हो जाएगा (6) वाह वाह बेहतरीन।
ये नहीं सोचा था मैंने ख़्वाब में
एक पत्थर देवता हो जाएगा (7)....ये अन्य शे'रों के अपेक्षा कमतर है।
दूर होने से बढ़ीं नज़दीकियाँ
पास होंगे फासला हो जाएगा (8) हासिले गजल शे'र।
आ. बड़े भैया सालिक गणवीर जी बहुत बेहतरीन ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
आ. Chetan Prakash जी
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और सराहना के लिए कोटिशः धन्यवाद।
आ. भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और सराहना के लिए कोटिशः धन्यवाद।
उस्ताद -ए - मुहतरम Samar kabeer साहिब
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और सराहना के लिए कोटिशः धन्यवाद। आपकी इस्लाह से ग़ज़ल में चार चाँद लग गए। सलामत रहें।
जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।
'जो बुरा है क्या भला हो जाएगा
तेरे कहने से ही क्या हो जाएगा'
इस मतले को यूँ कहें:-
'तेरे कहने से ही क्या हो जाएगा
जो बुरा है वो भला हो जाएगा'
'ख़र्च कीजे फिर जमा हो जाएगा'
इस मिसरे में क़ाफ़िया दुरुस्त नहीं है,सहीह शब्द "जम'अ"21 है,देखियेगा ।
सातवें शेर के दूसरे मिसरे में है को हो कर लें । सादर
आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।
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