2122 1212 22
आँख में भरके आब बैठा है।
खिड़की पे माहताब बैठा है।
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रातभर वाट्सऐप पे है लड़ा
नोजपिन पे इताब बैठा है।
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सुर्ख़ आँखें अफ़ीम हों गोया
पलकों को ऐसे दाब बैठा है।
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यूँ ग़ुलाबी सी शॉल है ओढ़े
जैसे कोई गुलाब बैठा है।
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धूप में खिल रही हैं पंखुरियाँ
खुश्बू में लिपटा ख़्वाब बैठा है।
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सुब्ह से पढ़ रहा हूँ मैं उसको'
और वो लेके किताब बैठा है।
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मौलिक व अप्रकाशित
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Comment
आ. अमीरुद्दीन सर बहुत शुक्रिया हौसलाफजाई के लिये। इन दिनों विभागीय ट्रेनिंग में व्यस्तता में समय नहीं दे पा रहा हूँ।
जनाब कृष मिश्रा गोरखपुरी जी आदाब, शानदार इस्लाह के साथ बहतरीन ग़ज़ल ख़ल्क़ हुई है, शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।
मोबाइल स्विच ऑफ़ हो तो समझ लेना मैं नमाज़ में हूँ, दस मिनट बाद चालू हो जाएगा ।
अरे नहीं सर, दिल तो मैंने आपका दुखाया है। खाली होकर जल्द ही आपको फ़ोन करूँगा सर। न. देने के लिए पुनः धन्यवाद।
आप जानते हैं मुझे लिखने पढ़ने में कितनी परेशानी उठानी पड़ती है, आपका दिल दुखाया इसके लिये क्षमा चाहता हूँ, बाक़ी बातें फ़ोन पर कर लें ।
आ. समर सर आपके ऐसे हृदय तोड़ने वाले कमेंट की मैंने उम्मीद नहीं कि थी। मैंने केवल आपने जो पूछा था उसका उत्तर दिया है यदि आप समझा के कहते कि--- नहीं ऐसा प्रयोग गलत है तो उसे दुरुस्त कर देता। सच कहूं तो OBO पर इन दिनों मैं केवल आपके लिए ही आता हूँ , अब पहले की तरह अन्य वरिष्ठ सदस्य सक्रिय दिखाई नहीं देते। आ. गिरिराज, वीनस केसरी सर, सौरभ सर आदि गणमान्य जन को obo पर देखे काफ़ी समय हो गया।ऐसे में यदि आपके मार्गदर्शन और स्नेह से वंचित हुआ तो obo पर आने के लिए मेरे पास कोई औचित्य नहीं बचेगा।
//आम बोलचाल की भाषा के कारण आ. समर सर जिस प्रकार तर्ह को तरह, शह्र शहर आम बोली में चलन है उसी तरह सुब्ह से अधिक चलन में सुबह का प्रयोग है सो ऐसा किया।//
भाई, क्षमा करें, आपकी इस्लाह करना मेरे लिये सम्भव नहीं, अब मैं आपकी ग़ज़लों पर बधाई देकर निकल जाया करूँगा ।
आ. लक्ष्मण भैया ग़ज़ल पर आमद और हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया।आपकी इस्लाह बेहतरीन है इस ओर मैंने सोचा नहीं था।
// सुबह को मैंने जान बूझकर 12 को वज्न पर रक्खा है//
ऐसा क्यों ?
आम बोलचाल की भाषा के कारण आ. समर सर जिस प्रकार तर्ह को तरह, शह्र शहर आम बोली में चलन है उसी तरह सुब्ह से अधिक चलन में सुबह का प्रयोग है सो ऐसा किया।
आ. भाई क्रिस मिश्रा जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
सुबह को सहर लिखकर समस्या का हल कर सकते हो । सादर..
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