दीप की लौ से निकलती रौशनी भी देख ली
और उस की छाँव बैठी तीरगी भी देख ली।१।
*
वोट देकर मालिकाना हक गँवाया हमने यूँ
चार दिन में सेवकाई आपकी भी देख ली।२।
*
दुश्मनी का रंग हम ने जन्म से देखा ही था
आज संकट के समय में दोस्ती भी देख ली।३।
*
आ न पाये होश में क्यों आमजन से दोस्तो
दे के उस ने तो हमें संजीवनी भी देख ली।४।
*
खूब उम्मीदें जतायी नित सियासत ने मगर
भूखी प्यासी छटपटाती ये सदी भी देख ली।५।
*
मिट न पायी है पिपासा आजतक कोई नहीं
चाँद मंगल की जगत ने देहरी भी देख ली।६।
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
Comment
आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए आभार।
बहुत ही खूब ग़ज़ल कही आदरणीय...
आ. रचना बहन। सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए आभार ।
आदरणीय लक्ष्मण धामी'मुसाफ़िर'भाई नमस्कार। अच्छी ग़ज़ल हुई। हार्दिक बधाई।
आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार ।
भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी
सादर अभिवादन
एक और बहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाइयाँ स्वीकार करें
आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन ।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।
आ. भाई क्रिस मिश्रा जी, गजल पर उपस्थिति व प्रशंसा के लिए धन्यवाद ।
आ. भाई समर जी सादर अभिवादन । पुनः उपस्थिति और बेहतरीन सलाह के लिए आभार।
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है आदरणीय भैया हार्दिक बधाई।
सदी वाला शेर बहुत पसंद आया।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online