For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पूरा किया है कौन वचन आपने जनाब -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२


चाहे कमाया खूब  हो धन आपने जनाब
लेेेकिन ज़मीर करके दमन आपने जनाब।१।
*
तारीफ  पायी  नित्य  हो  दरवार  में भले
मुजरा बना दिया है सुखन आपने जनाब।२।
*
ये  सिर्फ  सैरगाह  रहा  हम  को  है पता
माना नहीं वतन को वतन आपने जनाब।३।
*
उँगली उठायी नित्य  ही  औरों के काम पर
देखा न किन्त खुद का पतन आपने जनाब।४।
*
देखो लगे हैं  लोग  ये  घर  अपना फूँकने
ऐसी लगायी मन में अगन आपने जनाब।५।
*
अपने हितों को खोल के जनता की ओर से
रक्खे  हमेशा  बन्द  नयन  आप ने  जनाब।६।
*
कैैैसे करेंं  ये  आस  कि  लाओगे  सुख यहाँ
पूरा किया  है  कौन  वचन  आप  ने  जनाब।७।

(१२-३-२१)


मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 676

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 19, 2021 at 8:55pm

आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 19, 2021 at 7:36pm

जनाब लक्ष्मण धामी भाई 'मुसाफ़िर' जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।  सादर।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 19, 2021 at 11:50am

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 19, 2021 at 11:20am

हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी। बेहतरीन गज़ल।

ये  सिर्फ  सैरगाह  रहा  हम  को  है पता
माना नहीं वतन को वतन आपने जनाब।३।

Comment by Samar kabeer on March 18, 2021 at 5:59pm

अब ठीक हैं ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 18, 2021 at 5:43pm

आ. भाई समर जी ,पुनः उपस्थिति के लिए आभार । शेष मिसरों पेस्ट करते समय शायद हो नहीं पाये। देखियेगा ।
//उँगली उठायी नित्य ही औरों के काम पर
//कैसे करें ये आस कि लाओगे सुख यहाँ

Comment by Samar kabeer on March 18, 2021 at 11:44am

'लेकिन जमीर करके दमन आपने जनाब'

ये मिसरा अब ठीक है, और बाक़ी मिसरे?

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 18, 2021 at 7:59am

आ. भाई समर जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और मार्गदर्शन के लिए आभार । इंगित मिसरों में बदलाव किया है । देखियेगा ।
//लेकिन जमीर करके दमन आपने जनाब

Comment by Samar kabeer on March 17, 2021 at 7:52pm

जनाब लक्ष्मण धामी `मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें I

`रक्खा ज़मीर किन्तु रेहन आपने जनाब` इस मिसरे में क़ाफ़िया सहीह नहीं है सहीह शब्द है `रह्र` 21 , देखियेगा I  
`अंगुल उठायी नित्य ही औरों के काम पर`--इस मिसरे में `अंगुल`को ``ऊँगली`` करना उचित होगा I  
`क्यों अब रखें उम्मीद कि लाओगे सुख यहाँ`--इस मिसरे में `उम्मीद` को ``उमीद`` कर लें I 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . रोटी

दोहा पंचक. . . रोटीसूझ-बूझ ईमान सब, कहने की है बात । क्षुधित उदर के सामने , फीके सब जज्बात ।।मुफलिस…See More
4 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service