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आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर पुनः उपस्थिति व मार्गदर्शन के लिए आभार।
'चाहता दौलत "मुसाफ़िर" जो भी है ससुराल की'
'पालकर यूँ मकड़ियों को साथ जो रखता रहा'
ये दोनों मिसरे ठीक हैं ।
आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। पुनः उपस्थिति और मसविरे के लिए आभार ।
जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब,
चाहता दौलत "मुसाफिर" जो भी है ससुराल की
वो ही सालों से दुखी है आजकल इस देश में।७।
(बेहतर है)
//पालकर यूँ मकड़ियों को साथ जो रखता रहा
(ये भी अच्छी तरमीम है) सादर।
आ. भाई समर जी , सादर अभिवादन ।गजल पर उपस्थित,सराहना व मार्गदर्शन के लिए आभार । इंगित मिसरों में सुधार किया है देखिएगा-
//गड़ गयी नीयत "मुसाफिर" जिसकी भी ससुराल पर
वो ही सालों से दुखी है आजकल इस देश में।७।
(या)
चाहता दौलत "मुसाफिर" जो भी है ससुराल की
वो ही सालों से दुखी है आजकल इस देश में।७।
(कौन सा बेहतर है)
//पालकर यूँ मकड़ियों को साथ जो रखता रहा
आ. भाई अमीरुद्दीन जी , सादर अभिवादन ।गजल पर उपस्थिति व सराहना के लिए आभार । इंगित मिसरों में सुधार किया है देखिएगा-
//गड़ गयी नीयत "मुसाफिर" जिसकी भी ससुराल पर
वो ही सालों से दुखी है आजकल इस देश में।७।
जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार करें। समझाइश जनाब समर कबीर साहिब दे ही चुके हैं, मक़्ते पर पेच फंसा है। जनाब मेरी जानकारी के अनुसार 'नीयत' का सही उच्चारण 'निय्यत' होता है जिसका बहुवचन 'निय्यतें' होता है, इस ऐतबार से यदि आपको मुनासिब लगे और जनाब समर कबीर साहिब इस बात की ताईद करें तो मक़्ते का ऊला यूँ कर सकते हैं-
'जिसने डालीं थीं "मुसाफिर" निय्यतें ससुराल पर' या फिर अपने वाले में ही नीयतें को निय्यतें कर लें।
सादर।
आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।
जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।
'जो हमेशा बम की बातें सत्य करता शक्श वो'
इस मिसरे में 'शक्श' को "शख़्स" कर लें ।
'पालकर जो मकड़ियों को साथ में रखता रहा'
इस मिसरे में 'साथ' शब्द के साथ 'में' का प्रयोग उचित नहीं होता,कई बार बता चुका हूँ ।
मक़्ते का ऊला बदल कर आपने यूँ किया है:-
'जो गड़ा नीयत "मुसाफिर" बैठे हैं ससुराल पर'
लेकिन इस मिसरे में 'हैं' बहुवचन है और सानी एक वचन में?
हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी । लाजवाब ग़ज़ल ।
भूखे रहने की सलाहें दे रहा भूखों को वो
जो निवालों से दुखी है आजकल इस देश में।२।
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