For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122, 2122, 2122


1)कर लिया हमने ख़सारा दो मिनट में
हो गया दिल ये पराया दो मिनट में

2)उम्र उसकी राह तकते कट गई है
आ रहा हूँ कह गया था दो मिनट में

3)थी उसे जल्दी तो मैं भी कुछ न बोला
हाल उसको क्या सुनाता दो मिनट में

4)जिस्म कैसे साथ दे अब उम्र भर तक
पक रहा है आज खाना दो मिनट में

5)होती है नाज़ुक बहुत रिश्तों की डोरी
टूट जाता है भरोसा दो मिनट में

6)लोग कहते हैं 'अनीस' इतना है माहिर
वो बना लेता है अपना दो मिनट में

अनीस अरमान 

मौलिक अप्रकाशित 

Views: 735

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Md. Anis arman on August 30, 2021 at 11:43am

जनाब लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी ग़ज़ल तक आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Md. Anis arman on August 30, 2021 at 11:42am

जनाब रवि शुक्ला जी ग़ज़ल तक आने और पसंद करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 26, 2021 at 1:23pm

आ. भाई अनीस जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई । 

Comment by Ravi Shukla on August 26, 2021 at 12:17pm

उम्दा गजल कही आपने आदरणीय  अनीस जी रदीफ का बेहतर इस्तेमाल हुआ । मुबारक बाद कुबूल करें 

Comment by Md. Anis arman on August 26, 2021 at 9:43am

जनाब सौरभ पाण्डेय जी ग़ज़ल पर आपकी इस प्रतिक्रिया ने ऊर्जा से भर दिया है मुझे, सच कहूँ तो ऐसे प्रयोग करते वक़्त एक डर भी बना रहता है इसे किस तरह लिया जाएगा पर आपने मेरा डर दूर कर दिया, इस ऊर्जा से कुछ और बेहतर लिख सकूँगा अब, आपका बहुत बहुत शुक्रिया 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 23, 2021 at 12:18pm

वाह, क्य बात है दो मिनट में !  

आदरणीय अनीस अरमान साहब, इस ग़ज़ल के कुछ शेरों के अंदाज पर मैं दंग हूँ. क्या खूब मिसर्  हुए हैं. यथा, 

थी उसे जल्दी तो मैं भी कुछ न बोला
हाल उसको क्या सुनाता दो मिनट में ...   .....   क्या खूब. क्या दम 

जिस्म कैसे साथ दे अब उम्र भर तक
पक रहा है आज खाना दो मिनट में  ....... .....  याद रखने और सुनाने लायक शेर हुआ है यह

ऐसे में, मक्ते पर अलग से बधाई. 

शुभ-शुभ

 

Comment by Md. Anis arman on August 15, 2021 at 8:45pm

जनाब समर कबीर साहब ग़ज़ल तक आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया, देर से जवाब देने के लिए मुआफ़ी चाहता हूँ 

Comment by Md. Anis arman on August 15, 2021 at 8:43pm

आदरणीय चेतन प्रकाश जी ग़ज़ल तक आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया देर से प्रतिक्रिया के लिए मुआफ़ी चाहता हूँ 

Comment by Samar kabeer on August 7, 2021 at 6:41pm

जनाब अनीस अरमान जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Chetan Prakash on August 5, 2021 at 6:36pm

आदाब, भाई अनीस अरमान, छोटी बह्र, लेकिन सहज भाव अच्छी ग़ज़ल हुई है, मुबारक हो! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं हम कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२जब जिये हैं दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं हम कान देते आपके निर्देश हैं…See More
6 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service