For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किये कैद बैठा हवाओं को जो भी - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२२


चिढ़ा मौत से पर हँसा जिन्दगी पर
अँधेरों से डर कर  चढ़ा रौशनी पर।१।
*
किये कैद बैठा हवाओं को जो भी
बहस कर रहा है वही ताजगी पर।२।
*
बना सन्त बैठा मगर है फिसलता
कभी मेनका पर कभी उर्वशी पर।२।
*
खड़े  देवता  हैं  सभी  कठघरे में
करो चर्चा थोड़ी कभी बंदगी पर।४।
*
सभी खीझते हैं जले दीप पर तो
उठा क्रोध यारो कहाँ तीरगी पर।५।
*
अजब देवता जो डरे आदमी से
हुआ द्वंद भारी यहाँ आरती पर।६।
*
दगाबाज फितरत सभी की है यारो
भरोसा करे  कोई  कैसे  किसी पर।७।
*

मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
//

Views: 586

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on September 14, 2021 at 6:14pm

//बेहतर करने के लिए आप भी सुझाव दें//

उचित लगे तो यूँ कह सकते हैं:-

'अँधेरे का ग़ुस्सा किया रौशनी पर

हँसी आ रही है तेरी बेबसी पर'

'वही बह्स करता रहा ताजगी पर'

ये अब ठीक है ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 14, 2021 at 6:03pm

//मतले पर आप ही कुछ मार्गदर्शन करें तो बेहतर होगा।//

जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, आपके कथन की तामील में एक कोशिश है (पता नहीं आपके भाव के अनुसार है या नहीं) देखियेेगा :

'टली मौत जैसे हँसा ज़िन्दगी पर

अँधेरों से डर कर रुका चाँदनी पर'     सादर। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 14, 2021 at 6:41am

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, सराहना व स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद। मतले के इंगित मिसरे में कहने का तात्पर्य यह है कि अँधरे से डर कर अँधेरे के बजाय उजाले पर गुस्सा किया जा रहा है। यदि यह बात स्पष्ट नहीं हो पायी हो तो बदलने का प्रयास करूँगा। बेहतर करने के लिए आप भी सुझाव दें।

दूसरे शेर के मिसरे को यूँ किया है देखिऐगा-
वही बह्स करता रहा ताजगी पर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 13, 2021 at 9:33pm

आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद। मतले पर आप ही कुछ मार्गदर्शन करें तो बेहतर होगा।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 13, 2021 at 9:29pm

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद। मतले के इंगित मिसरे में कहने का तात्पर्य यह है कि अँधरे से डर कर उजाले पर गुस्सा किया जा रहा है। इस नजरिए से एक बार देखिएगा सादर...

Comment by Samar kabeer on September 12, 2021 at 2:51pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

मतले पर गुणीजनों से सहमत हूँ ।

'बहस कर रहा है वही ताजगी पर'

आपकी जानकारी के लिए बता रहा हूँ कि सहीह शब्द "बह्स" 21 है ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 10, 2021 at 10:55am

जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले का शिल्प थोड़ी और तवज्जो चाहता है।  सादर। 

Comment by Chetan Prakash on September 10, 2021 at 9:15am

आदाब, भाई लक्ष्मण सिंह धामी खूबसूरत ग़ज़ल हुई है! पहली बार लगा प्रतीकों के माध्यम से आप अच्छी ग़ज़ल कह सकते है ं! बधाई स्वीकार करें! लेकिन भाई, मतला रब्तहीन है! " डर कर " रोशनी तक नहीं पहुँचा जा सकता ! 'लड़ कर' न्यायोचित है! सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
3 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
9 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service