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पर्व गुरुओं का मनाते आज हम -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२


पर्व गुरुओं  का  मनाते आज हम
और मन के पास आते आज हम।१।
*
पुष्प भावों के  चढ़ाते आज हम 
शीष श्रद्धा से झुकाते आज हम।२।
*
है मिला हर ज्ञान उन से ही हमें
मान उनको दे जताते आज हम।३।
*
सीख उनकी आचरण में ढालकर
कर्ज किंचित यूँ चुकाते आज हम।४।
*
आब भर कर है सितारों सा किया
हर चमक उन से, बताते आज हम।५।
*
ज्ञान दाता  बढ़  बिधाता  से हैं तो
यश उन्हीं का गा सुनाते आज हम।६।
*
दीप सा जलना जो सीखा उनसे है
तब कहीं तम यूँ मिटाते आज हम।७।
*
भेद का हर भाव मेटा मन से तब
धर्म मानव का निभाते आज हम।८।
*


मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

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Comment

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 10, 2021 at 4:58pm

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 10, 2021 at 4:55pm

आ. भाई बृजेश कुमार जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति व उत्साहवर्ध न के लिए धन्यवाद।

Comment by Chetan Prakash on September 10, 2021 at 4:38pm

आदाब,  भाई  लक्ष्मण सिंह मुसाफिर,  अच्छी  ग़ज़ल हुई  है ! गुरुवर  मात्र  समर्पण के आकांक्षी होते  हैं, शेष तो बस कृपा  बरसती है । ग़ज़ल  हेतु  आप 

भाई  के पात्र  हैं ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 10, 2021 at 10:43am

उत्तम ग़ज़ल कही आदरणीय धामी जी...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 9, 2021 at 12:25pm

आ. भाई आशीष जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by आशीष यादव on September 8, 2021 at 10:23pm

शिक्षक दिवस पर अच्छी गजल हुई है।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 7, 2021 at 5:30pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 7, 2021 at 5:29pm

आ. भाई मनोज कुमार जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व सलाह के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 7, 2021 at 5:28pm

आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद। आपका सुझाव अच्छा है इससे बात अधिक स्पष्ट हो गयी है । सादर..

Comment by Samar kabeer on September 6, 2021 at 12:34pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, शिक्षक दिवस पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

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