For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(ग़ज़ल) इन्साफ़ बेचते हैं फ़ैज़ान बेचते हैं

221 - 2122 - 221 - 2122

इन्साफ़ बेचते हैं फ़ैज़ान बेचते हैं 

हाकिम हैं कितने ही जो ईमान बेचते हैं 

अज़मत वक़ार-ओ-हशमत पहचान बेचते हैं 

क्या-क्या ये बे-हया बे-ईमान बेचते हैं  

मअ'सूम को सज़ा दें मुजरिम को बख़्श दें जो 

आदिल कहाँ के हैं वो इरफ़ान बेचते हैं 

घटती ही जा रही है तौक़ीर अदलिया की 

जबसे वहाँ के 'लाला' 'सामान' बेचते हैं 

उनके दिलों में कितनी अज़मत ख़ुदा की होगी 

पत्थर तराश कर जो भगवान बेचते हैं 

क़ानूनी चारा-जोई मज़लूम की हो कैसे  

वुकला हुनर का महँगा फ़ैज़ान बेचते हैं 

पेशा ही बन गया है झूटी गवाही जिनका

सिक्कों के बदले में वो ईमान बेचते हैं 

मंदिर तो न्याय का है इन्साफ़ ही नहीं बस

ख़ुद 'देवता' यहाँ के फ़ैज़ान बेचते हैं 

कमज़र्फ़ 'अमीर' जब से बनने लगे हैं मुंसिफ़

मिलते ही अच्छी क़ीमत फ़रमान बेचते हैं 

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 628

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 22, 2021 at 4:48pm

मुहतरम समर कबीर साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, ज़र्रा नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।  सादर।

Comment by Samar kabeer on December 22, 2021 at 2:25pm

जनाब अमीरुद्दीन 'अमीर' साहिब आदाब, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 15, 2021 at 3:34pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।  सादर।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 15, 2021 at 12:27pm

आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है । हर शेर वर्तमान सच्चाई लिए है। हार्दिक बधाई स्वीकारें।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 13, 2021 at 4:48pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया जनाब। सादर। 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 13, 2021 at 4:46pm

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया। सादर ।

Comment by TEJ VEER SINGH on December 13, 2021 at 11:10am

हार्दिक बधाई आदरणीय अमीरुददीन 'अमीर' साहब जी। लाजवाब ग़ज़ल

पेशा ही बन गया है झूटी गवाही जिनका

सिक्कों के बदले में वो ईमान बेचते हैं ।

Comment by Shyam Narain Verma on December 13, 2021 at 10:00am
नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service