ममता पर दोहे .....
जाते हैं जो चूमकर, मात-पिता के पाँव ।
राहों में उनके नहीं, आते दुख के गाँव ।1।
जीवन में आते नहीं, उनके दुख के गाँव ।
जिनके सिर रहती सदा, आशीषों की छाँव ।2।
धन वैभव संसार में, मिल जाते सौ बार ।
मिलें नहीं जाकर कभी, मात-पिता साकार ।3।
दृष्टि धुंधली हो गई, काया हुई निढाल ।
आई बेला साँझ की, ढूँढे नैना लाल ।4।
ममता ढूँढे पालने, में अपना वो लाल ।
जिसको देखे हो गए, जाने कितने साल ।5।
बूढ़ी काया को लगे, अगला हर पल काल ।
देखो बनकर आ गया, लाठी मेरा लाल ।6।
किसने देखा स्वर्ग का , कैसा है संसार ।
माँ का आँचल स्वर्ग है, पिता जगत आधार ।7।
दूध पिलाकर लाल को, माँ को मिले सुकून ।
पवन स्वार्थ का ले उड़ा, आँगन खिले प्रसून ।8।
वर्तमान संसार में, अब है अर्थ महान ।
हर रिश्ते की अर्थ से, अब होती पहचान ।9 ।
सुशील सरना / 131221
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
जनाब सुशील सरना जी आदाब, ममता पर अच्छे दोहे रचे आपने, बधाई स्वीकार करें ।
आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई। भाई अमीरुद्दीन जी की बात पर गौर कीजिएगा सादर..
आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, सुंदर दोहे रचे हैं आपने हार्दिक बधाई।
"जीवन में आते नहीं, उनके दुख के गाँव ।
आशीषों की हो अगर, सिर पर उनके छाँव।" इस दोहे का शिल्प दोनों पंक्तियों में 'उनके' के कारण गड़बड़ हो गया है,
'जिनके सिर रहती सदा, आशीषों की छाँव।' सादर।
हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी। लाजवाब दोहे।
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