एक समय रवि साथ लिए सब,
बागी गणेश प्रीतम जी आयो,
ओबीओ का जब जनम भयो तब,
ये ख़ुशी लिए बिजय जी आयो,
सभे मिली जब किये बिनती,
योगराज जी प्रधान बने हमारो,
को नहीं जानत हैं ओबीओ पर,
पाठ साहित्य पर होत बिचारो!
गजल की बात राणाजी शुरू कियो,
तब आगे बढ़ी तिलकराज जी आयो,
योगराज जी साथ दियो तब,
अम्बरीश जी किये बिचारो,
शुरू किये सब मिली मुशायरा,
सौरभ जी और अभिनव हमारो.
को नहीं जानत हैं ओबीओ पर,
पाठ साहित्य पर होत बिचारो!
मनोज जी सक्रिय सदस्य बने तब,
खोज ओबीओ के सबको भयो,
प्रत्येक महीने कोई न कोई तो,
दूसरे महीने नविन जी पधारो,
आशीष शेषधर जी के पड़े,
तब ध्रमेंद्र जी आये हमारो,
को नहीं जानत हैं ओबीओ पर,
पाठ साहित्य पर होत बिचारो!
आगे महीना बंदना जी का,
फिर आये अभिनव भाई हमारो,
आगे आये वीनस केशरी जी,
फिर अम्बरीश जी शोभा बढायो,
एडमिन चुने तिलक राज जी को,
फिर आये सौरभ और शन्नो हमारो,
को नहीं जानत हैं ओबीओ पर,
पाठ साहित्य पर होत बिचारो!
चित्र से काब्य शुरू हुआ तब,
योगेन्द्र बहादुर जी बाजी मारो,
आगे चली सौरभ अभिनव,
तब अलोक जी और लता जी आयो,
चौथी बार किसानो की बातें,
फिर सौरभ संग मर्मज्ञ पधारो.
को नहीं जानत हैं ओबीओ पर,
पाठ साहित्य पर होत बिचारो!
सलिल हिंदी की कक्षा शुरू किये तब,
हिंदी के चाहत सभे मन भायो,
बागी गुरु योगराज संगे सब,
काम भयो ये मंगल यारो,
चलाई कक्षा तब सलिल जी,
बढाई जानकारी अब हमारो,
को नहीं जानत हैं ओबीओ पर,
पाठ साहित्य पर होत बिचारो!
समूह पर जब ध्यान दिए गणेश जी,
भोजपुरी में गुरु सतीश जी आयो,
अभियंता व धार्मिक बाल कोना,
सब साहित्य सब के मन भायो,
आगे बढे तब एडमिन जी,
आपन नेपाल के ग्रुप बनायो,
को नहीं जानत हैं ओबीओ पर,
पाठ साहित्य पर होत बिचारो!
जो लिखना था वो लिख दिए,
अब गुरु के कामो पे करो बचारो,
साथ बनी रहे हम सभी का,
योगराज जी ध्यान रखो हमारो,
जाके नाम छूटा हो गुरु जानो,
आपके पास हैं माफ़ी हमारो ,
को नहीं जानत हैं ओबीओ पर ,
पाठ साहित्य पर होत बिचारो !
Comment
dhanyabad ashish ji bagi awam lata ji
nit naveen rachna aur wo bhi itne manbhaavan dhang se ,bahut samajh aur mehnat ka kaam hai . Bahut khoob likha hai aapne Ravi ji :) badhai
आपका प्रयास सराहनीय है गुरु जी, धन्यवाद |
गुरु जी , आप ने ये लिख कर बहुत बढ़िया किया| अगर किसी को बस यही पढ़ा दिया जाय तो वो भी जान लेगा कि यहाँ पर कितनी सुविधाएं है| और अगर यहाँ आ गया तो फिर इस परिवार का स्नेह पाकर यहाँ से फिर जा नहीं सकता| जय गुरु, जय ओ बी ओ, जय ओ बी ओ परिवार|
रचना हेतु बधाई|
dhanyabad saurabh bhaiya aur atendra ji
भाई रविजी आपकी संलग्नता अचम्भित कर देती है.
आपकी बाल-सुलभ तत्परता को ईश्वर सदा सजीव रखे. .. बहुत-बहुत शुभकामनाएँ ..
dhanyabad yograj bhaiya yawam tyagi ji
रवि भाई - ओबीओ के प्रति आपके लगाव, जुड़ाव, मोह और प्रतिबद्धता की दाद देनी पड़ेगी ! बहुत खूब !
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