For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल :- बाढ़ का हद से गुजरना अच्छा

 ग़ज़ल :- बाढ़ का हद से गुजरना अच्छा
 
बाढ़ का हद से गुजरना अच्छा ,
गाँव का फिर से संवरना अच्छा |
 
इस जगह माँ की याद आती है ,
इस जगह थोडा ठहरना अच्छा |
 
सिर्फ ख्वाबों का बसर होता है ,
रात का सुबह बिखरना अच्छा |
 
वस्ल का वायदा मुझसे लेना ,
और फिर उसका मुकरना अच्छा |
 
लहरें तह तक खंगाल देती हैं ,
कश्तियाँ देखकर डरना अच्छा |
 
झूठ  के भीड़ की घुटन सच है ,
ऐसे जीने से तो मरना अच्छा |
 
सूरतें हो गयीं सारी विकृत ,
आइनों का ही निखरना अच्छा |
 
 
           += अभिनव अरुण
 

Views: 675

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on August 27, 2011 at 8:40am

ABHAAR SHANNO JI AND MANY MANY THANKS !!

Comment by Shanno Aggarwal on August 26, 2011 at 9:01pm

खूबसूरत ख्यालात....गजल बढ़िया बन पड़ी है, अरुण.

Comment by Abhinav Arun on August 26, 2011 at 2:55pm
आदरणीय श्री सौरभ जी आपके भी क्या कहने पत्थर और पारस सा हाल है इधर तो | आपने जिस रचना पर अपनी टिप्पणी का हाथ रख दिया वही रचना असर से भर कर असरदार हो गयी | और आपकी भाषा आपके शब्द उसकी दाद के लिए बराबरी के शब्द ही नहीं | हम "बेजुबान" हो गए | (इस बार की तरही से साभार :-)| :-))

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 24, 2011 at 2:50pm

परकटे परिन्दे की मानिंद बसर कर रहे आदमियों की कुलबुलाती हुयी भावनाओं को जब बालिश्त भर आकाश मिल जाए तो उसका घर्रीता गला स्वर साधने लगता है. वही घर्राहट इन शेरों में सुनायी दे रही है. चौदह अगस्त की प्रविष्टि के लिहाज से आपकी ग़ज़ल को देख गया और अपने स्वतंत्र हाथों का मेल जकड़े हुये पैरों से बरबस कराता रहा, बार-बार,  देर तक. लेकिन सफल नहीं होना था, नहीं हुआ. पैरों की जकड़न उन्मुक्त हाथों से ईर्ष्या कर बैठी --

//झूठ की भीड़ की घुटन सच है,

ऐसे जीने से तो मरना अच्छा |//

बहुत खूब..

 

Comment by आशीष यादव on August 24, 2011 at 10:19am
Khubsurat aur arthyukt she'ron se saji shandar ghazal. Samjhane ko bahut kuchh h isme. Waah waah.
Comment by Abhinav Arun on August 24, 2011 at 8:40am

शेर का यह बिम्ब आपको भाया मैं कृतार्थ हुआ दुष्यंत जी | हार्दिक आभार !!

Comment by दुष्यंत सेवक on August 23, 2011 at 7:39pm

इस जगह माँ की याद आती है ,इस जगह थोडा ठहरना अच्छा | बरसों बाद अपने गाँव से गुज़रो तो ऐसी ही फीलिंग आती है....बहुत उम्दा अभिनव जी, दिल मे उतरती है ये पंक्तियाँ 

Comment by Abhinav Arun on August 23, 2011 at 1:44pm

thanks a lot virendra jee you comments are as always couragious .

Comment by Veerendra Jain on August 22, 2011 at 11:42pm

सिर्फ ख्वाबों का बसर होता है ,
रात का सुबह बिखरना अच्छा ...
waah waah...kya baat kahi hai aapne...bahut badhai...

Comment by Abhinav Arun on August 15, 2011 at 11:43am

आभार बागी जी आपकी  प्रतिक्रिया मेरी प्रोत्साहन है | आप सबके स्नेह से कलम चलती और लिखती रहे यही कामना है |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service