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सामयिक गीत: आज़ादी की साल-गिरह / संजीव 'सलिल'

सामयिक गीत:

आज़ादी की साल-गिरह

संजीव 'सलिल'
*
*
आयी, आकर चली गयी
आज़ादी की साल-गिरह....
*
चमक-दमक, उल्लास-खुशी,
कुछ चेहरों पर तनिक दिखी.
सत्ता-पद-धनवालों की-
किस्मत किसने कहो लिखी?
आम आदमी पूछ रहा
क्या उसकी है कहीं जगह?
आयी, आकर चली गयी
आज़ादी की साल-गिरह....
*
'पट्टी बाँधे आँखों पर,
अंधा तौल रहा है न्याय.
संसद धृतराष्ट्री दरबार
कौरव मिल करते अन्याय.
दु:शासन शासनकर्ता
क्यों?, क्या इसकी कहो वज़ह?
आयी, आकर चली गयी
आज़ादी की साल-गिरह....
*
उच्छ्रंखलता बना स्वभाव.
अनुशासन का हुआ अभाव.
सही-गलत का भूले फर्क-
केर-बेर का विषम निभाव.
दगा देश के साथ करें-
कहते सच को मिली फतह.
आयी, आकर चली गयी
आज़ादी की साल-गिरह....
*
निज भाषा को त्याग रहे,
पर-भाषा अनुराग रहे.
परंपरा के ईंधन सँग
अधुनातनता आग दहे.
नागफनी की फसलों सँग-
कहें कमल से: 'जा खुश रह.'
आयी, आकर चली गयी
आज़ादी की साल-गिरह....
*
संस्कार को भूल रहें.
मर्यादा को तोड़ बहें.
अपनों को, अपनेपन को,
सिक्कों खातिर छोड़ रहें.
श्रम-निष्ठा के शाहों को
सुख-पैदल मिल देते शह.
आयी, आकर चली गयी
आज़ादी की साल-गिरह....
*
दिव्यनर्मदा.ब्लॉगस्पोट.कॉम

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Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 18, 2010 at 5:48pm
’पाती बाँधे आँखों पर’ की ’पाती’ ’पट्टी’ है न?

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 18, 2010 at 5:46pm
अब शिल्प पर मैं क्या कहूँ, या कहूँ प्रवाह पर? जो है वह सीखने के लिए है.
एक इशारा:
’आम आदमी पूछ रहा
क्या उसकी है जगह कहीं?’ में ’क्या उसकी है कहीं जगह’ होतो और उचित नहीं होगा?
’पाती’ शब्द ’प्ट्टी’ है क्या? मुझे लगा कि यह टाइपो है, सो, कह रहा हूँ.

और मैं मुग्ध हूँ इन पंक्तियों पर -
नागफनी की फसलों सँग-
कहें कमल से: 'जा खुश रह.'
वाह, वाह!
Comment by आशीष यादव on August 18, 2010 at 3:47pm
aaj ke samaaj ka darshan karaati yah geet.
kya ho raha hai hakikat samjhaati yah geet.
is samaaj ke thekedaar hai bhati bhati ke, tarah tarah,
aayi aakar chali gayi aazaadi ki saal-girah

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 17, 2010 at 10:56pm
बहुत सुन्दर गीत, सामायिक भी सटीक भी

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 17, 2010 at 9:07pm
एक बार पुन: मस्तिष्क को झंकृत कर देने वाली रचना, बहुत सुंदर,

कृपया ध्यान दे...

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