For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छन्न पकैया , मेहनत की है रोटी

आदरणीय योगराज प्रभाकर जी से प्रभावित होकर मैंने भी  छन्न पकैया  में  कुछ लिखने का प्रयास किया है. मेरी मूल रचना में कुछ कमियाँ थी जो योगराज जी ने सुधारी, योगराज सर आपका बहोत बहोत शुक्रिया. वरिष्टजनों का मार्गदर्शन चाहूँगा !

 

.

छन्न पकैया , छन्न पकैया , मेहनत की है रोटी,

कहने को युवराज है, लेकिन बाते छोटी-छोटी ||१||

.

छन्न पकैया, छन्न पकैया , खूब बड़ी महंगाई

कुर्सी पे हाकिम जो बैठा , शुतुरमुर्ग है भाई ||२||

 .

छन्न पकैया, छन्न पकैया , आँखों पे हैं चश्मे 
पुत्र मोह में पुत्री मारे , कितनी घटिया रस्में  ||३||
.
छन्न पकैया, छन्न पकैया , मिलें कंधो से कंधे 
छूत अछूत हैं बीती बातें, सब उसके ही बन्दे ||४||
.
छन्न पकैया, छन्न पकैया, बच्चे खेल न पाते
बड्डपन की दीवारों ने हरसू , बाँट दिए अहाते ||५|| 
.
छन्न पकैया, छन्न पकैया, भट्टी तपता सोना 
मेरी माँ घर मेरे आई, रोशन कोना-कोना ||६||
.
छन्न पकैया, छन्न पकैया, निश्चित बुढ़ापा आना 
जोशे जवानी में तुम न,  बजुर्गो की हसी उड़ना||७||
.
छन्न पकैया, छन्न पकैया, मस्त कोलावेरी गाना 
कानो ने हो सुना अगर तो , तय होठो पे आना ||८||
.
छन्न पकैया, छन्न पकैया, जहा दीपिका जाए 
छोटा माल्या आगे पीछे, लट्टू होता जाए ||९||
.
छन्न पकैया, छन्न पकैया, गम ही हिस्से आता
चेहरे के सब हाव भाव ही, स्पर्श मेरा ले जाता ||१०||

.

: शशिप्रकाश सैनी

Views: 12587

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shashiprakash saini on January 7, 2012 at 3:13pm
आदरणीय गणेश जी सराहना के लिए आभार
OBO परिवार में शामिल होकर मै बहोत खुश हू
यहाँ बहुत कुछ सिखाने के लिए मिला रहा है और बहुत अच्छी रचनाए पढ़ने को भी मिल रही है

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 7, 2012 at 11:09am

सैनी साहब आपने छन् पकैया विधा को एक नया आयाम दिया है, रचना में कथ्य बहुत ही उच्चे दर्जे की है, सन्देश भी है, व्यंग भी है, कटाक्ष भी है और शिक्षा भी, बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर,

आगे भी आपकी रचनाएँ और अन्य साथियों की रचनाओं पर आपके बहुमूल्य विचारों का स्वागत रहेगा |

Comment by shashiprakash saini on January 6, 2012 at 5:07pm

सराहना हेतु आभार आदरणीय अरुण जी , योगराज जी 

आप लोगो के सानिध्य में अभी बहुत कुछ सीखना है

Comment by Abhinav Arun on January 6, 2012 at 8:38am

Waah bahut khoob shashi prakash ji viseh kar KOLAVERI & DEEPIKA wala charan saamyik aur badhiya ban pada hai hardik badhai aapko !!


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 5, 2012 at 7:32pm

भाई शशिप्रकाश सैनी जी, आनंद आ गया आपकी छन्न पकय्यावली पढ़ कर. यूं तो सभी छंद एक से बढ़कर एक हैं, मगर निम्लिखित छंद ने तो दिल ही जीत लिया:

छन्न पकैया, छन्न पकैया, भट्टी तपता सोना 
मेरी माँ घर मेरे आई, रोशन कोना-कोना ||६||

वाह वाह वाह, क्या कमाल की और पवित्र भावना है. छन्न पकय्या के सफ़र में मेरा हमसफ़र बनने के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई.  

Comment by shashiprakash saini on January 4, 2012 at 9:59pm
धन्यवाद सतीश जी
Comment by satish mapatpuri on January 4, 2012 at 9:21pm
बेहतरीन प्रयास सैनी जी, साधुवाद कुबूल करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service