For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता : - स्नेह अटल है !

कविता : - स्नेह अटल है !
 

झर झर झरता झीना झीना

जीवन जल है .

फाहा फाहा फहरें फर फर 

साँसें छल है .

मह मह मतिभ्रम में मानव मन

विकट विकल है .

नूपुर नवल नवनील नीरवता

आशा कल है .

उन्मत्त ऊर्जा उर उर्ध्वाधर

रक्त प्रबल है .

क्षमा क्षरण क्षय क्षितिज क्षुब्धवत

कैसा हल है .

अदम आदमी आदम अदभुत

स्नेह अटल है  .

सृजन सुफल सृष्टि संश्लेषित

श्रेष्ठ सरल है .

पुष्प पलाश प्रेममय पाश

तलहटी  तल है .

विदा विलोम विपुल विभ्रम वश

शाश्वत फल है .

 

                   - अभिनव अरुण

                      (13032012)

 

 

Views: 903

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विवेक मिश्र on March 17, 2012 at 9:50am

शुरूआती चार पंक्तियों में ही जीवन का फलसफा दिख गया. सुन्दर और प्रवाहमयी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई अरुण जी.
जय हो!

Comment by Abhinav Arun on March 16, 2012 at 9:07pm

हार्दिक आभार अतेन्द्र जी काफी दिनों के बाद आपका आगमन सुखद है !!

Comment by Atendra Kumar Singh "Ravi" on March 16, 2012 at 5:00pm

अनुप्रास अलंकार से सुसज्जित भावपूर्ण कविता के लिए हार्दिक बधाई है सर जी ...........अतेंद्र कुमार सिंह'रवि'

Comment by Abhinav Arun on March 14, 2012 at 1:30pm

आदरणीय श्री सौरभ जी , शशि प्रकाश जी , राकेश जी ,आदरणीया डॉ प्राची जी , राजेश कुमारी जी , महिमा श्री जी हार्दिक हार्दिक रूप से धन्यवाद रचना की सराहना के लिए !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 13, 2012 at 7:32pm

आनुप्रासिक रचना ! वाह !! प्रवाहमयी कविता की भाव दशा मुग्ध कर गयी. इस विशिष्ट रचना के लिये हृदय से बधाई स्वीकारें.

Comment by shashiprakash saini on March 13, 2012 at 7:00pm

अरुण जी बहोत ही बेहतरीन कविता है बधाई स्वीकारे 

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 13, 2012 at 3:50pm

माननीय अभिनव जी, वाह वाह!! अति उत्तम. शब्दो का अद्भुत प्रयोग. बहुत बहुत बधाइयाँ. कविता नही मानो पानी बह रहा हो दूर कहीं पहाड़ पे और उसकी निनाद कागज पर उतार दी गये. बहुत खूब.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 13, 2012 at 2:33pm

वाह अरुण जी सुन्दर प्रवाह श्रेष्ठ अनुप्रास अलंकार का संयोजन कविता की ख़ूबसूरती में चार चाँद लगा रहे हैं  बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति है यह आपकी बधाई स्वीकारें 

Comment by MAHIMA SHREE on March 13, 2012 at 2:12pm
झर झर झरता झीना झीना
जीवन जल है .
फाहा फाहा फहरें फर फर
साँसें छल है .
मह मह मतिभ्रम में मानव मन

आदरणीय अरुण जी
नमस्कार ..झरने की तरह अविरल बहती हुई ...अतिसुंदर ...अभिव्यक्ति.....बिलकुल "अभिनव".....
बहुत -२ बधाई आपको...
Comment by Abhinav Arun on March 13, 2012 at 1:55pm
Shri Sandeep Wahid ji apke in sneh purn shabdon se ahladit hoon.bahut shukriya apka !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service