निजत्व की खातिर
कर्तव्यो की बलिवेदी से
कब तक भागेगा इन्सान
ऋण कई हैं
कर्म कई हैं
इस मानव -जीवन के
धर्म कई हैं
अचुत्य होकर इन सबसे
क्या कर सकेगा
कोई अनुसन्धान
कई सपने हैं
कई इच्छाये हैं
पूरी होने की आशाये हैं
पर विषयों के उद्दाम वेग से
कब तक बच सकेगा इन्सान
भीड़-भाड़ है
भेड़-चाल है
दाव-पेंच के
झोल -झाल है
इनसे बच कर अकेला
कब तक चलेगा इन्सान
कौन है ईश्वर
जीवन क्या है
मै कौन हूँ
क्यूँ आया हूँ
जिज्ञासायों के कई भंवर हैं
डूब के इनमे
अपनों से कब तक
मुख मोड़ सकेगा इन्सान
Comment
कौन है ईश्वर
जीवन क्या है
मै कौन हूँ
क्यूँ आया हूँ
जिज्ञासायों के कई भंवर हैं ..
महिमा श्री, आपकी प्रस्तुत पंक्तियों ने वो कमाल किया है कि आपको इनमें निहित प्रश्नों के उत्तर ही नहीं संतुष्टि भी मिल सकी होगी.
इस रचना को माह की सर्वश्रेष्ठ रचना चयनित होने पर आपको हार्दिक बधाइयाँ. ओबीओ के मंच पर या इस मंच द्वारा किसी रचना का अनुमोदित होना सामान्य घटना मात्र नहीं है. आपका रचना-कर्म आपके भाव-शब्दों को गुरुतर प्रतिष्ठा दे.
शुभेच्छाएँ.
JI Mahima JI, I can feel the excitement and jubilation. Keep it :)
माह के सर्वश्रेष्ठ रचना के सम्मान हेतु बहुत - बहुत बधाई महिमा जी.
mahima beti jitna main khush hoon bata nahi sakta.
आदरणीया महिमा जी महीने की सर्व श्रेष्ठ रचना चुने जाने हेतु आपको ह्रदय से हार्दिक बधाई
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