भुजंग तुम
वतन के लिए
व्याल हम
वतन के लिए
कलंक तुम
वतन के लिए
तिलक हम
वतन के लिए
दुश्मन हो
वतन के लिए
ढाल हम
वतन के लिए
हार तुम
वतन के लिए
जीत हम
वतन के लिए
जीना है
वतन के लिए
मरना है
वतन के लिए
शांति है
वतन के लिए
क्रांति है
वतन के लिए
हम एक हैं
वतन के लिए
राजगुरु भगत सुखदेव है
वतन के लिए
आजाद थे आजाद है आजाद रहेंगे
वतन के लिए
Comment
आदरणीय केसरी जी , सादर अभिवादन. अपनी भावनाओं को शब्द दिए हैं. आभार प्रोत्साहन हेतु. स्नेह सदैव अपेक्षित है. धन्यवाद.
राष्ट्र भक्त और राष्ट्र द्रोही के बीच का अंतर क्या खूब लिखा है ! कामना है कि हम सब वतन के माथे का तिलक बने रहें / बनने का प्रयास करें !
desh bhakti ki jyoti jagaati hui kavita bahut behtreen.badhaai aapko.
hamare khushgawar aaj k liye AAJ KA DIN hamesha itihas k sunhare panno me mahakta rahega.....
हम एक हैं
वतन के लिए
राजगुरु भगत सुखदेव है
वतन के लिए
आजाद थे आजाद है आजाद रहेंगे
वतन के लिए ......वतन परस्ती से ओतप्रोत रचना.....प्रदीप जी.बधाई...natmastak hu....
आदरणीय प्रदीप जी सादर प्रणाम, देशप्रेम से ओतप्रोत रचना के लिए हार्दिक बधाई
माननीय, वतन परस्ती को सुन्दर शब्दों से प्रस्तुत किया है
बधाई
abhar. snehi vahid ji. vande matram.
आदरणीय प्रदीप जी,
देशप्रेम के भावों में डूबी इस कविता के लिए हार्दिक बधाई!! :))
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