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aadarniya bhrmar ji, saadar abhivadan.
yun hi likha tha aap ko pasand aaya, dhanyavaad.
उन्हें पास बुलाने की चाहत में कितने प्रेम गीत गाये
aadarniya rajesh kumari, mahodaya ji, sadar abhivadan, lagta hai aapne meri pukar sun li hai. laga ki sher hai. honsla afjayee ke liye hardik abhar.
जो खुद हो वेबफा उसे अब वफ़ा क्यों भाये
ADARNIYA ASHOK JI, SADAR ABHIVADAN.
AAPNE SARAHA . HIMMAT BADHI. DHANYVAD.
चाहत के किस्से उसके मेरे अब पुराने हो गए
थी बुलंद जो इमारतें अब खंडहर मकान हो गए
वाह! क्या बात है प्रदीप जी सुन्दर रचना बधाई.
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