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धन्य - धन्य वह भारत है , जहाँ गंगा जैसी सरिता है.
jai ganga maiya ki. badhai sir ji saadar abhivadan ke saath.
भाई सतीशजी, आपकी रचना स्वर्गसलिला के श्रीचरणों में शब्दांजलि है. आगे कुछ भी कहना अनुशासनहीनता ही होगा.
सादर
संदीप जी और भ्रमर जी ......... आपको मेरी यह रचना अच्छी लगी .... इसके लिए आभार
हिमगिरि है तेरा ललाट, और केश सुन्दरवन है.
आदरणीय सतीश सर , सादर अभिवादन! माँ गंगा को नमन स्वरुप कृति पर विशेष बधाई स्वीकार करें
गणेश जी तथा जवाहर जी सराहना के लिए आभार
माँ गंगा को नमन करती हुई यह कविता बहुत ही प्यारी बन पड़ी है, हम नमन करते है भारत भूमि को और माँ गंगा को , आभार आदरणीय सतीश मापतपुरी जी |
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