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सराहना हेतु आभार प्रिय संदीप द्विवेदी जी |
एक दम से लौंगिया मिर्चाइ. .....
परदा (यशपाल) कहानी में परिवार की इज्जत बचाने के लिये मिर्जा साहब ने मखमल का परदा लगाया था. आज गुडिया ने अपनी इज्जत बचाने के लिये एड्स का परदा लगाया है..........
बहुत खूब....
samaj ke munh par karara tamacha. nari ko apne bachav ke liye kavach, badhai sir ji sadar abhivadan ke sath.
समाज का कटु यथार्थ बड़े ही सुंदर ढंग से पेश किया आपने आदरणीय| बधाई आपको :-)
राकेश जी , आभार |
आदरणीय जीतेन्द्र जौहर जी, लघु कथा पढ़ने और सराहने हेतु बहुत बहुत आभार, आपकी टिप्पणी उत्प्रेरक का काम करती है |
Bahut hi samsamayik evam hruday ko uddelit kar dene vali kahani.
प्रिय भाई बागी जी,
इस लघुकथा के माध्यम से गुड़िया का सद्चरित्र रेखांकित करने के साथ ही आपने हमारे समाज का भी एक चेहरा उजागर करने में सफलता पायी है...! आपका लेखन सार्थ्क है...सराहनीय है!
समयाभाव में मैं टिप्पणी भले ही नहीं दर्ज कर पाता हूँ, लेकिन आज आपकी इस लघुकथा ने मुझे प्रेरित किया कि समय निकालूँ।
आपको हार्दिक बधाई...!
शन्नो दीदी लघु कथा पसंद करने हेतु आभार |
दिल को छू गयी ये कहानी. एक औरत को इस समाज में इज्ज़त से जीने के लिये कैसे झूठ का सहारा लेना पड़ा.
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