For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक  नयी  दुनिया 

एक  नयी  दुनिया देखी  है अन्तः  मन  की  आँखों  से

 

जिसमे  कोई  रंग  नहीं  हैं , पर  सारे  रंगों  से  सुन्दर ..

जिसमे  कोई  कशिश  नहीं  है , है  वो  जैसे  शांत  समुन्दर ..

मै उस  दुनिया  मे  बसती  हूँ , है  वो  समाई  मेरे  भीतर .

उसका  कोई  अंत  नहीं  है , है  वो  एक  अनंत  सा  अम्बर ..

 

  है वो  सूरज  से  रोशन ,   है  रात  वहां  अंधेरी ..

एक  उजाले  सी  उज्वल  है , हर  पल  जैसे  सुबह  सवेरी..

ना  है  कोई  नीर  की  बदली , ना  है  कोई  पंछी-परिंदा ..

दूर  दूर  तक  ना  ही  दिखती , कोई  परछाई , कोई  बाशिंदा ..

 

एक  रेत जैसा  मरुधर  है , है  जिस  पर  शीतल  सी  छाया ..

  कोई  जीव    पौधा  कोई , जीवन  सारा  मुझ  मे  ही  समाया ..

  मौसम  आते  जाते  हैं ,   ही  सर्द -गर्म  राते  हैं ..

हर  लम्हा  मदहोशी  सी  है , एक  सुन्दर  ख़ामोशी सी  है ..

 

  है  हवा  का  झोंका  कोई , पर  हर  पल  सहलाती  ठंडक ..

  है  जलधर  झरना  कोई , पर    कोई  प्यास  वहां पर ..

  कोई  आवाज़ - ना  आहट ,   कोई  जज़्बात  – ना  चाहत ..

हर  पल  खुद  से  साथ  है  खुद  का , हर  पल  है  वो  साथ वहां  पर ..

 

ऐसी  ही  दुनिया  देखी  है , अन्तः  मन  की  आखों  से

Views: 514

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on May 7, 2012 at 1:25pm
आदरणीय प्राची जी ,
खुबसूरत नयी दुनिया में ले जाने के लिए आपको हार्दिक बधाई

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 6, 2012 at 9:38pm

Heartfelt thanks,

ASHISH YADAV JI, for catiching it in an instant that this poetry is not any imagination, but a result of flashed vision from the meditaive depths.

 

Resp.Rajesh Kumari Ji for appreciating my effort of rhyming writting

 

RESP. Jawahar Lal Ji and Resp . Pradeep Kushwaha Ji for appreciating the expression.

 

 

 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 6, 2012 at 9:13pm

koi kasht nahi, sundar dunia. nayi dunia vah nikalti hai. badhai.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 6, 2012 at 9:02pm

डॉ. प्राची जी, बहुत सुन्दर! बहुत सुन्दर! बहुत सुन्दर! बहुत सुन्दर! बहुत सुन्दर!
ऐसा ही अगर हम सब देखने लगें तो फिर किस बात का रोना!
रोशन हो जाय यह जिन्दगी का आंगन बाकी न रहे कोई कोना!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 6, 2012 at 7:47pm

बहुत सुन्दर रचना प्राची लय बध का प्रयास अच्छा किया है बधाई 

Comment by आशीष यादव on May 6, 2012 at 6:07pm
निर्गुण है पर सारे गुण हैँ। बेहतरीन रचना। ये तिसरी आँख का कमाल है जब कुछ न होते हुए भी सबकुछ दिखता है।
बधाई स्वीकारेँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service