For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

असीमित विस्तार 

ममता अपार

माँ का प्यार !

----------------

सुख की मेह

करुना सागर

माँ का नेह !

---------------

त्याग  वलिदान 

सुख की खान

"माँ" एक नाम !

-------------------

खुशियाँ किलकारी

सर्व दुःखहारी

माँ अति प्यारी !

----------------

मरू में छाया

अमृत धारा

माँ की माया !

------------------

दो कुल का कुल-दीपक

'लक्ष्मी'-जनती -कुल-दीपक

रचती -माँ-पिता-माँ  ही "एक" !

-----------------------------------

शिशु की जान

हम सब की  पहचान

माँ -एक नाम !

----------------------

 

देश की आन , बान ,शान

धरोहर , कला, विज्ञान

रच "शिशु" देती “माँ” अनोखा  दान  !

--------------------------------------

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

कुल्लू यच पी

१३.०५.२०१२ ८-८.२५ पूर्वाह्न

Views: 705

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 18, 2012 at 8:22pm

प्रिय अशोक जी ये क्षणिकाएं .आप के मन को छू सकी सुन हर्ष हुआ .....इन  त्रिपदियों को हाइकु में बदलने की मांग हुयी है कुछ रौशनी डालियेगा बाद में --आभार भ्रमर ५ 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 18, 2012 at 8:19pm

सूरज उगने से बड़ी ख़ुशी होती है ..सुझाव आप का बहुत अच्छा है लेकिन रौशनी आप से इसके लिए लेनी होगी ....आभार आप का डॉ सूरज जी प्रोत्साहन हेतु ...भ्रमर ५ 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 18, 2012 at 7:14pm

आदरणीय भ्रमज जी
                 सादर,
                                त्याग  वलिदान
                  सुख की खान
                  "माँ" एक नाम !
बहुत सुन्दर क्षणिकाएँ. बधाई.

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 16, 2012 at 2:50pm

भ्रमर जी बहुत सुंदर भाव लिए हुए आपकी त्रिपदियों ने मन मोह लिया। बहुत अच्छा लगा । कोशिश करके इन्हे हाइकू में बादल सकें तो बहुत अच्छा होगा !!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 15, 2012 at 10:57pm

प्रिय नीलांश जी, अजय जी, अभिनव जी ,बागी जी , और आदरणीया राजेश कुमारी जी आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद अपना स्नेह और सुझाव देते रहें तो ऊर्जा मिलती रहे ...आभार 

महिमा श्री जी आप ने सभी त्रिपदियों का उल्लेख किया ..माँ से बड़ा प्यार होता ही है ....बहुत बहुत आभार आप का 
भ्रमर५ 
Comment by MAHIMA SHREE on May 14, 2012 at 4:02pm
असीमित विस्तार

ममता अपार

माँ का प्यार !

----------------

सुख की मेह

करुना सागर

माँ का नेह !

---------------

त्याग वलिदान

सुख की खान

"माँ" एक नाम !

-------------------

खुशियाँ किलकारी

सर्व दुःखहारी

माँ अति प्यारी !

----------------

मरू में छाया

अमृत धारा

माँ की माया !

------------------

दो कुल का कुल-दीपक

'लक्ष्मी'-जनती -कुल-दीपक

रचती -माँ-पिता-माँ ही "एक" !

-----------------------------------

शिशु की जान

हम सब की पहचान

माँ -एक नाम !

----------------------



देश की आन , बान ,शान

धरोहर , कला, विज्ञान

रच "शिशु" देती “माँ” अनोखा दान !

वाह वाह !!!! आदरणीय भ्रमर सर ....अति सुंदर .. अद्भुत .. हार्दिक बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 13, 2012 at 11:10pm

bahut sundar bhaav mai tripadiyaan ek se badhkar ek aapko badhaai.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 13, 2012 at 8:35pm

भ्रमर जी खुबसूरत त्रिपदियाँ हैं, कुछ त्रिपदियों को आप प्रयास करे तो हाइकु विधा में प्रस्तुत कर सकते थे , ज्ञात हो कि हाइकु विधा भी त्रिपदियाँ ही है जो ५-७-५ वर्ण में रची जाती है |

इस अभिव्यक्ति हेतु बहुत बहुत बधाई |

Comment by Abhinav Arun on May 13, 2012 at 7:29pm

वाह सच मे  माँ का एहसास भी खुदा की नेमत है शानदार रचना हर्दिक बधाई !!

Comment by AjAy Kumar Bohat on May 13, 2012 at 7:06pm

बहुत ही सुन्दर कविता बिलकुल माँ की तरह ....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
9 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
14 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Nov 8

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service