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असीमित विस्तार 

ममता अपार

माँ का प्यार !

----------------

सुख की मेह

करुना सागर

माँ का नेह !

---------------

त्याग  वलिदान 

सुख की खान

"माँ" एक नाम !

-------------------

खुशियाँ किलकारी

सर्व दुःखहारी

माँ अति प्यारी !

----------------

मरू में छाया

अमृत धारा

माँ की माया !

------------------

दो कुल का कुल-दीपक

'लक्ष्मी'-जनती -कुल-दीपक

रचती -माँ-पिता-माँ  ही "एक" !

-----------------------------------

शिशु की जान

हम सब की  पहचान

माँ -एक नाम !

----------------------

 

देश की आन , बान ,शान

धरोहर , कला, विज्ञान

रच "शिशु" देती “माँ” अनोखा  दान  !

--------------------------------------

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

कुल्लू यच पी

१३.०५.२०१२ ८-८.२५ पूर्वाह्न

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Comment

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Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 18, 2012 at 8:22pm

प्रिय अशोक जी ये क्षणिकाएं .आप के मन को छू सकी सुन हर्ष हुआ .....इन  त्रिपदियों को हाइकु में बदलने की मांग हुयी है कुछ रौशनी डालियेगा बाद में --आभार भ्रमर ५ 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 18, 2012 at 8:19pm

सूरज उगने से बड़ी ख़ुशी होती है ..सुझाव आप का बहुत अच्छा है लेकिन रौशनी आप से इसके लिए लेनी होगी ....आभार आप का डॉ सूरज जी प्रोत्साहन हेतु ...भ्रमर ५ 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 18, 2012 at 7:14pm

आदरणीय भ्रमज जी
                 सादर,
                                त्याग  वलिदान
                  सुख की खान
                  "माँ" एक नाम !
बहुत सुन्दर क्षणिकाएँ. बधाई.

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 16, 2012 at 2:50pm

भ्रमर जी बहुत सुंदर भाव लिए हुए आपकी त्रिपदियों ने मन मोह लिया। बहुत अच्छा लगा । कोशिश करके इन्हे हाइकू में बादल सकें तो बहुत अच्छा होगा !!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 15, 2012 at 10:57pm

प्रिय नीलांश जी, अजय जी, अभिनव जी ,बागी जी , और आदरणीया राजेश कुमारी जी आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद अपना स्नेह और सुझाव देते रहें तो ऊर्जा मिलती रहे ...आभार 

महिमा श्री जी आप ने सभी त्रिपदियों का उल्लेख किया ..माँ से बड़ा प्यार होता ही है ....बहुत बहुत आभार आप का 
भ्रमर५ 
Comment by MAHIMA SHREE on May 14, 2012 at 4:02pm
असीमित विस्तार

ममता अपार

माँ का प्यार !

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सुख की मेह

करुना सागर

माँ का नेह !

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त्याग वलिदान

सुख की खान

"माँ" एक नाम !

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खुशियाँ किलकारी

सर्व दुःखहारी

माँ अति प्यारी !

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मरू में छाया

अमृत धारा

माँ की माया !

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दो कुल का कुल-दीपक

'लक्ष्मी'-जनती -कुल-दीपक

रचती -माँ-पिता-माँ ही "एक" !

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शिशु की जान

हम सब की पहचान

माँ -एक नाम !

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देश की आन , बान ,शान

धरोहर , कला, विज्ञान

रच "शिशु" देती “माँ” अनोखा दान !

वाह वाह !!!! आदरणीय भ्रमर सर ....अति सुंदर .. अद्भुत .. हार्दिक बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 13, 2012 at 11:10pm

bahut sundar bhaav mai tripadiyaan ek se badhkar ek aapko badhaai.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 13, 2012 at 8:35pm

भ्रमर जी खुबसूरत त्रिपदियाँ हैं, कुछ त्रिपदियों को आप प्रयास करे तो हाइकु विधा में प्रस्तुत कर सकते थे , ज्ञात हो कि हाइकु विधा भी त्रिपदियाँ ही है जो ५-७-५ वर्ण में रची जाती है |

इस अभिव्यक्ति हेतु बहुत बहुत बधाई |

Comment by Abhinav Arun on May 13, 2012 at 7:29pm

वाह सच मे  माँ का एहसास भी खुदा की नेमत है शानदार रचना हर्दिक बधाई !!

Comment by AjAy Kumar Bohat on May 13, 2012 at 7:06pm

बहुत ही सुन्दर कविता बिलकुल माँ की तरह ....

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