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हम दूर देश से टूर पर आये साइबेरिआइ पक्षी
बहु सुन्दर तरीके से पर्यावरण संरक्षण कि बात कही गई
साथ हि उन लोगों के लिए सीख है जो केवल आय का जरिया समझ कर
गंगा का इस्तेमाल करते है
परम श्रद्धेय श्री बागी जी !! आपके उत्साहवर्धन का आभार !! इधर निजी कारणों से समय थोडा कम दे पा रहा हूँ , इसका खेद है | पर समय मिलते ही रचनाओं को पढ़ लेता हूँ और यथा संभव विचार bhi देने का प्रयास करता हूँ |
आदरणीय अरुण जी, कविता और ज्ञान साथ साथ बाटने के लिया आपको कोटिश: धन्यवाद, बहुत ही प्यारी रचना जिसमे अपने धरोहरों के प्रति आपकी चिंता भी दिखती है, बधाई स्वीकार करें |
अरुण जी
सादर, कर्णधारों को छोड़ सभी चिंतित हैं गंगा की प्रदूषित स्वरुप पर. फिरभी मन का उत्साह कम नहीं हो रहा. उम्दा रचना. बधाई.
स्वीकारोक्ति - इस कविता को लिखते समय एक प्रवाह में जो बिम्ब मानस में बने वह शब्दों में व्यक्त हैं \ इसमें "वोल्गा" का "ओल्गा" भूल से हो गया है | इसमें सतर्कता बरती जानी चाहिए थी इससे इनकार नहीं | ध्यान दिलाने के लिए हार्दिक आभार | हाँ बनारस में इन परिंदों के रूस से आने की बात प्रचलित है संभव है वह भी मिथ्या परंपरा सदृश हो \
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