क्यूँ तेरा अब, तुझी पे इख्तियार नहीं?
कठपुतली बना, पर सोगवार नहीं ?
मेहनत पसीने की रोटियाँ तो तोड़
कि साथ देता ज़माना, हर बार नहीं
ज़मीर तो होगा ही दामन में तेरे
शोहरत न रहे, तू खतावार नही
वो छीन लेंगे तेरी आँखों का पानी
टिकती है खुदाई, कोई किरदार नहीं
खबरों में है पर दिलों में कहाँ
तू अपने ही खातिर, वफादार नहीं
Comment
आदरणीय अशोक जी, गणेश जी ,योगराज जी आपके स्नेह और परामर्शों का आदर करता हूँ
नीलांश जी, कहन में दम है, बधाई हो |
नीलांश जी
सादर, बहुत समझ तो नहीं है किन्तु गजल के सारे शेर अच्छे लगे. आपके भाव मुझ तक पहुंचे. बधाई.
बहुत खूब नीलांश जी. डॉ बाली साहिब की बात पर गौर अवश्य करें.
rekha ji aapke sneh ka bahut aabhaari hoon
koshish karta rahunga
मेहनत पसीने की रोटियाँ तो तोड़
कि साथ देता ज़माना, हर बार नहीं
Nilansh ji sundr bhaav,bahut bahut badhai
pradeep ji,aapka bahut aabhhar ,margdarshan karte rahen
aapke sneh ka aabhaari hoon mahima ji,bahut shukriya
क्यूँ तेरा अब, तुझी पे इख्तियार नहीं?
कठपुतली बना, पर सोगवार नहीं ?
वाह नीलांश जी .. आपने तो बिलकुल हिला दिया , या कहे सोते से जगा दिया .. धन्यवाद आपका
जबरदस्त प्रस्तुति ... बहुत -२ बधाई आपको
खबरों में है पर दिलों में कहाँ
तू अपने ही खातिर, वफादार नहीं
शानदार शेर , गजल दिल को लुभा गयी
थी दिल में जो तस्वीर वो सामने आ गयी
बधाई
ashish ji ,rajesh ji ,surya ji bahut aabhaari hoon sneh ka
surya ji aapka bahut dhanyavad ki aapne trutiyan bataayin
maine punah koshish ki hai
...............................................
क्यूँ तेरा , तुझी पे इख्तियार नहीं?
कठपुतली बना, सोगवार नहीं ?
मेहनत पसीने की रोटियाँ तोड़ ले
कि साथ देगा ज़माना, हर बार नहीं
दामन में होगा ही, तेरा वो ज़मीर
शोहरत न हो , तू खतावार नही
वो छीन लेंगे तेरी आँखों का पानी
खुदाई बस टिकेगी , किरदार नहीं
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