For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“हूँ, कुछ कहा”. “कुछ भी तो नहीं”.”मुझे लगा शायद तुम कुछ बोले”. अक्सर ऐसा होता है जब किसी से बात करने का मन हो किन्तु जुबान खामोश हो.एक आवाज कान में गूंजने का आभास होता है.खामोशी में भी ये आवाज कहाँ से आती है?  ये आभास कैसे होता है? कभी नहीं जान सका. कई बार घर में अकेले बैठे हों और बाहर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है जब हम वहाँ जाकर देखते हैं तो पता चलता है वहाँ तो कोई भी नहीं है.

कई बार पलंग पर पड़े बीमार व्यक्ति द्वारा अपने अन्य रिश्तेदारों को बुलावा भेजना और सबकी मुलाक़ात के बाद प्राण त्याग देना. बाद में हम यही कहते हैं की देखो इनको पहले से ही आभास हो गया था की मौत आने वाली है. किन्तु यह आभास सबको क्यों नहीं होता? कई बार कुछ बड़े बूढ़े बीमार व्यक्ति द्वारा कई बार सारे रिश्तेदारों का जमावडा लगा लेने के बाद भी देहत्याग ना कर पाने से रिश्तेदार यह कहने से भी नहीं चुकते की अब तो तभी जायेंगे जब पक्की खबर आएगी.

हाँ मगर आभास को कई बार हकीकत में तब्दील होते देखा है,मुझे तो यह जागते हुए देखे सपने सा लगता है. क्योंकि रात में सोते हुए देखे मेरे सपने तो कभी सच नहीं हुए. कहा जाता है की कौए को मेहमानों के आने का आभास सबसे पहले हो जाता है इसीलिए वह छत पर आकार कांव कांव करने लगता है किन्तु अक्सर तो मैंने उसके एंटीना के कमजोर ही पाया. किन्तु  जब कभी श्रीमती जी चाहे की आज खाना बनाने का मन नहीं है कोई मेहमान ना आ जाए तब अवश्य ही कोई मेहमान खाने पर उपस्थित होगा.

कहते हैं की  भैरवनाथ के वाहन और महिलाओं को घटनाओं का आभास पहले से ही हो जाता है क्योंकि इनकी सिक्स्थ सेन्स तगड़ी होती है. कई बार भूकंप के मामले में कुत्तों के भौकने की आवाज से यह अंदाजा लगाया गया है की उनको इसका पहले से ही आभास हो गया था और इसी कारण जब कोई कुत्ता घर के आसपास रोता है तो उसको किसी के मौत का पैगाम मानकर कुत्ते को भगा दिया जाता है. जबकि विशेषज्ञों द्वारा इसका कोई अन्य ही कारण वर्णित है. महिलाओं को भी उनकी सिक्स्थ सेन्स आगे होने वाली कई घटनाओं का आभास कराती है और खासकर पुरुषों की बदनीयती पर तो इसका खरा उतरना इसको सिद्ध प्रमाणित करता है. किन्तु आजकल महिलाओं के साथ हो रही अनाचार की घटनाओं में वृद्धि से लगता है की शायद महिलाओं की सिक्स्थ सेन्स  कुछ कमजोर पड़ रही है, तभी उन्हें आगे होने वाली इन घटनाओं का तनिक भी आभास नहीं होता. काश की मैं आभास होने के विज्ञान को जान सकता.

Views: 692

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 7, 2012 at 8:52am

मेरे तुच्छ सुझाव का मान रखने हेतु धन्यवाद आदरणीय अशोक कुमार जी, परस्पर सहयोग इसी तरह बना रहे, हम लोग मिलजुलकर जरुर स्वयम को परिस्कृत करते रहेंगे |

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 7, 2012 at 8:45am

आदरणीय सौरभ जी
             नमस्कार, आपने समय दिया. धन्यवाद.

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 7, 2012 at 8:44am

आदरणीय बागी जी
               सादर नमस्कार, सही कहा है आपने आगे से मै अपने लेखन में इस त्रुटी से बचने का प्रयास करूंगा. धन्यवाद.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 3, 2012 at 10:58am

इस प्रविष्टि के लिये बधाई.   धन्यवाद अशोक भाई जी.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 3, 2012 at 10:46am

//किन्तु आजकल महिलाओं के साथ हो रही अनाचार की घटनाओं में वृद्धि से लगता है की शायद महिलाओं की सिक्स्थ सेन्स  कुछ कमजोर पड़ रही है//

सब पिज्जा , बर्गर, कोक और रासायनिक खादों का असर है :-))))

बहुत ही खुबसूरत आलेख, कही व्यंगात्मक लगा, कही संदेशात्मक तो कही हास्य प्रधान, यदि किसी एक विधा के साथ लेखन होता तो और भी बढ़िया रहता |

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 3, 2012 at 8:58am

अशोक भाई नमस्कार ! आभास होने का विज्ञान भी बड़ा करिश्माई है। जब आप किसी विशेष वस्तु, व्यक्ति, या स्थान के बारे में बहुत गहनता से सोचते हैं तो आपके अंदर से उत्पन्न तरंगे वहाँ तक पहुँचती है और वापस भी आती और जैसा आप सोच रहे होते हैं वैसा ही आपको आभास करती है। ये मोबाइल के सिद्धान्त पर काम करता है। जैसे अगर मैं आपका मोबाइल नंबर लगाऊं तो आपको ही रिंग जाएगी और आपका ही हाल मिलेगा न की प्रदीप कुशवाहा जी का...हहहह//॥ऐसे ही पत्नियाँ पतियों के बारे में बहुत कल्पनाशील होती हैं ...अब यहाँ गए होंगे, अब मिले होंगे, अब ये कर रहे होंगे ...इत्यादि...तो उनको उस सोच का प्रतिकृया भी वही मिलती है...अच्छा लेख । थोड़ा और विस्तार करते तो शायाद और मज़ा आता। बधाई हो !

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 2, 2012 at 6:49am

आदरणीय प्रदीप जी, राजेश कुमारी जी

                                                    सादर नमस्कार, आपकी सहमति अवश्य ही मेरे मनोबल में वृद्धिकारक होगी. धन्यवाद.

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 2, 2012 at 6:46am
 आदरणीय खत्री साहब
                                    सादर, बिलकुल सही कहा साहब आपने, मगर मेरी परेशानी और है यदि पत्नी जी की सिक्स्थ सेन्स सही काम कर जाती तो कम से कम पेट्रोल के दाम रुपये ७.३० बढ़ने से पहले मै एक बार तो फुल टैंक करा ही लेता. धन्यवाद आपकी सुन्दर प्रतिक्रया के लिए.
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 5:09pm

आदरणीय अशोक जी, सादर 

प्रथम अच्छी विषय वस्तु चुनने, सुन्दर लेख हेतु बधाई. आभास से सहमत. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 1, 2012 at 2:39pm

रकतेला जी बहुत अच्छा लिखा है यह बात सही है कि किसी किसी को पूर्वाभास होता है यह खुद मैंने भी महसूस किया है इस लिए इसके अस्तित्व को नकार भी नहीं सकती भूकंप आने से पहले कुत्तों को पता चल जाता है ये भी मैं सही मानती हूँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
17 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
17 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service