“हूँ, कुछ कहा”. “कुछ भी तो नहीं”.”मुझे लगा शायद तुम कुछ बोले”. अक्सर ऐसा होता है जब किसी से बात करने का मन हो किन्तु जुबान खामोश हो.एक आवाज कान में गूंजने का आभास होता है.खामोशी में भी ये आवाज कहाँ से आती है? ये आभास कैसे होता है? कभी नहीं जान सका. कई बार घर में अकेले बैठे हों और बाहर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है जब हम वहाँ जाकर देखते हैं तो पता चलता है वहाँ तो कोई भी नहीं है.
कई बार पलंग पर पड़े बीमार व्यक्ति द्वारा अपने अन्य रिश्तेदारों को बुलावा भेजना और सबकी मुलाक़ात के बाद प्राण त्याग देना. बाद में हम यही कहते हैं की देखो इनको पहले से ही आभास हो गया था की मौत आने वाली है. किन्तु यह आभास सबको क्यों नहीं होता? कई बार कुछ बड़े बूढ़े बीमार व्यक्ति द्वारा कई बार सारे रिश्तेदारों का जमावडा लगा लेने के बाद भी देहत्याग ना कर पाने से रिश्तेदार यह कहने से भी नहीं चुकते की अब तो तभी जायेंगे जब पक्की खबर आएगी.
हाँ मगर आभास को कई बार हकीकत में तब्दील होते देखा है,मुझे तो यह जागते हुए देखे सपने सा लगता है. क्योंकि रात में सोते हुए देखे मेरे सपने तो कभी सच नहीं हुए. कहा जाता है की कौए को मेहमानों के आने का आभास सबसे पहले हो जाता है इसीलिए वह छत पर आकार कांव कांव करने लगता है किन्तु अक्सर तो मैंने उसके एंटीना के कमजोर ही पाया. किन्तु जब कभी श्रीमती जी चाहे की आज खाना बनाने का मन नहीं है कोई मेहमान ना आ जाए तब अवश्य ही कोई मेहमान खाने पर उपस्थित होगा.
कहते हैं की भैरवनाथ के वाहन और महिलाओं को घटनाओं का आभास पहले से ही हो जाता है क्योंकि इनकी सिक्स्थ सेन्स तगड़ी होती है. कई बार भूकंप के मामले में कुत्तों के भौकने की आवाज से यह अंदाजा लगाया गया है की उनको इसका पहले से ही आभास हो गया था और इसी कारण जब कोई कुत्ता घर के आसपास रोता है तो उसको किसी के मौत का पैगाम मानकर कुत्ते को भगा दिया जाता है. जबकि विशेषज्ञों द्वारा इसका कोई अन्य ही कारण वर्णित है. महिलाओं को भी उनकी सिक्स्थ सेन्स आगे होने वाली कई घटनाओं का आभास कराती है और खासकर पुरुषों की बदनीयती पर तो इसका खरा उतरना इसको सिद्ध प्रमाणित करता है. किन्तु आजकल महिलाओं के साथ हो रही अनाचार की घटनाओं में वृद्धि से लगता है की शायद महिलाओं की सिक्स्थ सेन्स कुछ कमजोर पड़ रही है, तभी उन्हें आगे होने वाली इन घटनाओं का तनिक भी आभास नहीं होता. काश की मैं आभास होने के विज्ञान को जान सकता.
Comment
मेरे तुच्छ सुझाव का मान रखने हेतु धन्यवाद आदरणीय अशोक कुमार जी, परस्पर सहयोग इसी तरह बना रहे, हम लोग मिलजुलकर जरुर स्वयम को परिस्कृत करते रहेंगे |
आदरणीय सौरभ जी
नमस्कार, आपने समय दिया. धन्यवाद.
आदरणीय बागी जी
सादर नमस्कार, सही कहा है आपने आगे से मै अपने लेखन में इस त्रुटी से बचने का प्रयास करूंगा. धन्यवाद.
इस प्रविष्टि के लिये बधाई. धन्यवाद अशोक भाई जी.
//किन्तु आजकल महिलाओं के साथ हो रही अनाचार की घटनाओं में वृद्धि से लगता है की शायद महिलाओं की सिक्स्थ सेन्स कुछ कमजोर पड़ रही है//
सब पिज्जा , बर्गर, कोक और रासायनिक खादों का असर है :-))))
बहुत ही खुबसूरत आलेख, कही व्यंगात्मक लगा, कही संदेशात्मक तो कही हास्य प्रधान, यदि किसी एक विधा के साथ लेखन होता तो और भी बढ़िया रहता |
अशोक भाई नमस्कार ! आभास होने का विज्ञान भी बड़ा करिश्माई है। जब आप किसी विशेष वस्तु, व्यक्ति, या स्थान के बारे में बहुत गहनता से सोचते हैं तो आपके अंदर से उत्पन्न तरंगे वहाँ तक पहुँचती है और वापस भी आती और जैसा आप सोच रहे होते हैं वैसा ही आपको आभास करती है। ये मोबाइल के सिद्धान्त पर काम करता है। जैसे अगर मैं आपका मोबाइल नंबर लगाऊं तो आपको ही रिंग जाएगी और आपका ही हाल मिलेगा न की प्रदीप कुशवाहा जी का...हहहह//॥ऐसे ही पत्नियाँ पतियों के बारे में बहुत कल्पनाशील होती हैं ...अब यहाँ गए होंगे, अब मिले होंगे, अब ये कर रहे होंगे ...इत्यादि...तो उनको उस सोच का प्रतिकृया भी वही मिलती है...अच्छा लेख । थोड़ा और विस्तार करते तो शायाद और मज़ा आता। बधाई हो !
आदरणीय प्रदीप जी, राजेश कुमारी जी
सादर नमस्कार, आपकी सहमति अवश्य ही मेरे मनोबल में वृद्धिकारक होगी. धन्यवाद.
आदरणीय अशोक जी, सादर
प्रथम अच्छी विषय वस्तु चुनने, सुन्दर लेख हेतु बधाई. आभास से सहमत.
रकतेला जी बहुत अच्छा लिखा है यह बात सही है कि किसी किसी को पूर्वाभास होता है यह खुद मैंने भी महसूस किया है इस लिए इसके अस्तित्व को नकार भी नहीं सकती भूकंप आने से पहले कुत्तों को पता चल जाता है ये भी मैं सही मानती हूँ
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online