For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुक्तिका: मुस्कुराते रहो... संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:
मुस्कुराते रहो...
संजीव 'सलिल'
*
मुस्कुराते रहो, खिलखिलाते रहो
स्वर्ग नित इस धरा पर बसाते रहो..
*
गैर कोई नहीं, है अपरिचित अगर
बाँह फैला गले से लगाते रहो..  
*
बाग़ से बागियों से न दूरी रहे.
फूल बलिदान के नव खिलाते रहो..
*
भूल करते सभी, भूलकर भूल को
ख्वाब नयनों में अपने सजाते रहो..
*
नफरतें दूर कर प्यार के, इश्क के
गीत, गज़लें 'सलिल' गुनगुनाते रहो..
***

Views: 512

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 6, 2012 at 11:54am

//गैर कोई नहीं, है अपरिचित अगर
बाँह फैला गले से लगाते रहो..  //

वाह वाह वाह अति  सुन्दर विचार, अति सुन्दर मुक्तिका, बधाई स्वीकार करें आचार्यवर.

Comment by sanjiv verma 'salil' on June 6, 2012 at 8:56am

सौरभ जी,  उमाशंकर जी,  राजेश कुमारी जी,  रेखा जोशी जी,  प्रदीप जी, सूरज जी, अलबेला जी
आपकी गुणग्राहकता को नमन. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 5, 2012 at 10:41pm

आचार्यवर, आपकी मुक्तिका के बंद बेहतर लगे हैं. विशेषकर, यह बंद -

गैर कोई नहीं, है अपरिचित अगर
बाँह फैला गले से लगाते रहो.. 

किन्तु, बाग से बागियों से न दूरी रहे   की पंक्ति में न जाने क्यों मैं उलझ गया हूँ.

सादर

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 5, 2012 at 9:59pm

सुन्दर भाव

उद्देश्य पूर्ण बधाई सलिल जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 5, 2012 at 6:14pm

भूल करते सभी, भूलकर भूल को
ख्वाब नयनों में अपने सजाते रहो..
वाह कितनी बड़ी बात कही सलिल जी ...बहुत प्यारी मुक्तिका बहुत सुन्दर 

Comment by Rekha Joshi on June 5, 2012 at 5:50pm

आदरणीय संजीव जी,सादर नमस्ते ,

मुस्कुराते रहो, खिलखिलाते रहो
स्वर्ग नित इस धरा पर बसाते रहो..
*,बहुत बढ़िया ,बधाई |
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 5, 2012 at 5:05pm

आदरणीय सलिल जी, सादर अभिवादन 

सुखी जीवन का सुन्दर मूल मन्त्र कितनी खूब सूरती से दिया है. बधाई 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 5, 2012 at 3:03pm

संजीव जी बहुत सुंदर सुंदर पंक्तियाँ पिरोयी हैं आपने इस रचना में । बहुत खूब !! बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें !

Comment by Albela Khatri on June 5, 2012 at 9:22am

श्रद्धेय  संजीव वर्मा 'सलिल' जी
आपने सार की बात कह दी ........धन्य हो . बहुत ही शानदार  रचना
इन पंक्तियों ने तो  मन में  घर बाना लिया -

गैर कोई नहीं, है अपरिचित अगर
बाँह फैला गले से लगाते रहो.


बधाई !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सादर अभिवादन।"
25 minutes ago
Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
16 hours ago
Admin posted discussions
18 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
yesterday
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday
AMAN SINHA posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
Wednesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service